गजरौला(अमरोहा)। टीचर कॉलोनी में रहने वाली उच्च प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका मीनू पंवार (35) ने कमरे में दुपट्टे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। शिक्षिका बागपत के दोघट थाना क्षेत्र के दरीसपुर गांव निवासी सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी विजेंद्रपाल सिंह की बेटी थीं। शिक्षिका का फोन नहीं उठने पर घटना की जानकारी हुई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।
शिक्षिका मीनू पंवार धनौरा ब्लॉक के वाजिदपुर में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक थीं। वह आठ साल से टीचर कॉलोनी में सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी ईश्वर चंद के मकान में किराये पर रहती थीं। मीनू पंवार भूतल पर बने कमरे में रहती थीं, जबकि ईश्वर चंद परिवार सहित ऊपरी मंजिल पर रहते हैं। रोजाना की तरह साथ जाने वाली शिक्षिकाओं ने सोमवार की सुबह साढ़े नौ बजे मीनू को कॉल की। लेकिन फोन नहीं उठा। काफी देर तक फोन नहीं उठने पर शिक्षिकाएं कमरे पर गईं।
आवाज लगाने कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर पुलिस को सूचना दी। मौके पर इंस्पेक्टर क्राइम बालेंद्र सिंह थाना पुलिस और महिला पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे। मीनू का कमरा खोला तो उनके होश उड़ गए। मीनू का शव शव नीचे पड़ा था। उनके गले में दुपट्टा बंधा हुआ था। दुपट्टे का कुछ हिस्सा पंखे पर बंधा हुआ था। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। मृतका के परिजनों को घटना की जानकारी दी गई। मकान मालिक से घटना की जानकारी ली।
सीओ श्वेताभ भास्कर ने भी मौके पर जांच पड़ताल की। मौके पर पहुंची फील्ड यूनिट ने घटना स्थल का मुआयना कर सबूत जुटाए। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। सीओ का कहना है कि अभी कोई तहरीर नहीं मिली है। मामले की जांच की जा रही है।
मकान मालिक व मृतका के पिता की है दोस्ती
टीचर कॉलोनी के जिस मकान में शिक्षिका मीनू पंवार ने फंदे लगाया, उसके मालिक ईश्वर चंद और मीनू पंवार के पिता विजेंद्रपाल सिंह के बीच दोस्ती है। दोनों की साथ-साथ कई थानों में तैनाती रही। मृतका का एक भाई नितिन पंवार भी पुलिस में है। घटना की जानकारी होने पर वह भी सोमवार की सुबह गजरौला आया। बहन की मौत पर वह विलाप कर रहा था।
बीच में से फट गया था दुपट्टा
फंदे पर झूल कर जान देने वाली शिक्षिका मीनू पंवार ने जिसे दुपट्टे से फांसी लगाई, वह बीच से फट गया था।। मृतका का शव फर्श पर पड़ा था। उसके गले में दुपट्टा बंधा हुआ था। दुपट्टे का कुछ भाग पंखे में बंधा हुआ था। घटना के बाद एकत्र हुए लोगों का कहना था कि फंदे पर झूलते समय दुपट्टा फट जाता तो शायद मीनू पंवार की जान बच जाती।