नई दिल्ली। न सरकार पुरानी पेंशन वहाल करेगी और न कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की एक हजार रुपए वाली न्यूनतम पेंशन बढ़ाएगी। वित्त मंत्रालय ने फिलहाल श्रम मंत्रालय को इस विषय पर विचार करने से मना कर दिया है। इससे ईपीएफओ के लगभग 34 लाख पेंशनर्स की उम्मीदों को आघात पहुंचा है। एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन देने के लिए सरकार सालाना 900 से 1000 करोड रुपए दे रही है। न्यूनतम पेंशन को नाकाफी बताते हुए संसद की श्रम मामलों की स्थाई समिति से
लेकर सभी ट्रेड यूनियन ने भी इसे बढ़ाने के
लिए सरकार से आग्रह किया था। न्यूनतम
पेंशन बढ़ाने का मुद्दा ईपीएफओ की केंद्रीय
न्यासी वोर्ड (सीवीटी) की प्रत्येक बैठक में
प्रायः उठता है।
इस पर से ही श्रम मंत्रालय ने यह हिसाव लगवाया था कि पेंशन वढ़ाकर 3000 रुपए करने से कितना खर्च आएगा और 4000 रुपए एवं 5000 रुपए करने से कितना खर्च आएगा? वताया जाता है कि पेंशन 3000 रुपए मासिक करने से सरकार पर 5000 करोड रुपए का सालाना वोझ आएगा।
कहा जा रहा है कि श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से ईपीएफओ
की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के विषय में वात की थी। इस पर वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को कहा है कि उसके समक्ष एक ही पेंशन नहीं है, उसे सरकार की दूसरी पेंशन का भी ध्यान रखना है। ऐसा कहते हुए वित्त मंत्रालय ने फिलहाल न्यूनतम पेंशन वढ़ाने से इंकार कर
सरकार ने यह जवाव देकर विषय को
हो जाती है। सरकार ने 2014 में ईपीएफओ
की न्यूनतम पेंशन वढ़ाकर 1000 रुपए की
दिया है। ठंडा कर दिया है कि वो पहले ही ईपीएफ में अपने हिस्से के रूप में लगभग 7000 करोड रु पए देती है। न्यूनतम पेंशन के लिए दी जाने वाली राशि मिलाकर यह रकम 8000 करोड
थी। संसद की स्थाई समिति ने महंगाई का हवाला देकर इसे दोगुना करने की सिफारिश की थी। ट्रेड यूनियन न्यूनतम पेंशन वढ़ाकर 5000 रुपए से लेकर 7000 रुपए हजार करने की मांग कर रही है। उनका भी यही कहना है कि खाने-पीने की वस्तुओं के दाम काफी बढ़ गए है इसलिए न्यूनतम पेंशन नाकाफी है। ट्रेड यूनियन को अभी भी भरोसा नहीं है कि सरकार वढ़ाएगी।
न्यूनतम पेंशन नहीं उसे उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आने पर सरकार न्यूनतम पेंशन वढ़ाएगी। देश में पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारी आंदोलन कर रहे है उन्होंने अपने साथ ईपीएफओ के पेंशनर्स को भी जोड़ लिया है।
ईपीएफओ के 34 लाख पेंशनर्स को झटका
संसद की स्थाई समिति और ट्रेड यूनियन ने महंगाई की वजह से पेंशन बढ़ाने का किया था आग्रह
वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को कहा पेंशन का और बोझ नहीं लेगी सरकार
अभी सरकार पेंशन के लिए 1000 करोड़ और ईपीएफ के लिए 7000 करोड़ रुपए हर साल दे रही है