वाराबंकी : माता व पिता दोनों सरकारी शिक्षक हैं। दोनों में विवाद के चलते पुत्री का भविष्य अदालत ने तय किया है। पुत्री रहेगी तो अपनी मां के साथ, लेकिन उसकी पढ़ाई व अन्य जरूरी खर्च पिता ही उठाएगा। पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दुर्ग नारायण सिंह ने पुत्री के भरण-पोषण के लिए पिता को छह हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता देने का आदेश दिया है।
लोनीकटरा थाने के त्रिवेदीगंज में रहने वाले एक शिक्षक दंपति में पिछले तीन वर्ष से विवाद चल रहा है। शिक्षक पति ने शिक्षिका पत्नी से तलाक के लिए याचिका पारिवारिक न्यायालय में दाखिल कर रखी है, जबकि शिक्षिका पत्नी ने तलाक से इन्कार कर पति के साथ ही रहने की बात कह रही है। उसने पति से अपने
व अपनी पुत्री को गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग न्यायालय से की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने शिक्षिका का दावा खारिज कर दिया, जबकि पुत्री को छह हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
मामले में प्रधान न्यायाधीश ने शिक्षक दंपति को पुरानी बातें भुलाकर एक बार फिर साथ रहने के लिए बातचीत का मौका दिया है। महिला पक्ष के अधिवक्ता महेश दुबे ने बताया कि शिक्षक दंपति के मध्य विवाद का कारण परिवार के सदस्यों का बेजा हस्तक्षेप है।