मऊ ।
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी अब किताबी ज्ञान के साथ साथ साइबर ठगी से बचने के गुर लेकर पारंगत होंगे। जिससे कि वो अपने आसपास रहने वाले लोगों को साइबर ठगी से बचाया जा सके। साइबर ठगी के मामलो में कमी आ सके। वहीं, साइबर ठगी के मामलो में कमी लाने के प्रयास पुलिस विभाग द्वारा भी किए जा रहे है।
जिले में 1208 परिषदीय स्कूल संचालित होते हैं। इनमें 759 प्राथमिक, 157 उच्च प्राथमिक और 292 कंपोजिट विद्यालय हैं। इन स्कूलों में लगभग 1.54 लाख बच्चे पंजीकृत है। अब इन परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को गुरुजी साइबर क्राइम से बचने के बारे में ज्ञान देगे। इसके लिए पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद स्कूलों में प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। स्कूलों में लिखित सामग्री, वीडियो, सॉफ्टवेयर एवं पोस्टर के माध्यम से साइबर क्राइम संबंधी मामलों के प्रति बच्चों को जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा मानसिक रूप से मजबूत कर ऐसी घटनाओं पर शिकायत दर्ज करवाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। बीते कुछ सालों से जिले की स्थिति ऐसी है की यहां साइबर ठगी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
ई-सुरक्षा के जरिए दी जाएगी जानकारी
मऊ । एसपीसी पाठ्यक्रम में ई सुरक्षा के जरिए साइबर ठगी से बचने के बारे में जानकारी दी जाएगी। पुलिस ट्रेनिग निदेशालय उत्तर प्रदेश के द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में ज्ञान बच्चो को दिए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। बेसिक स्कूलों में शिक्षक जल्द ही बच्चों को साइबर ठगी से बचने के बारे में ज्ञान देगे। बच्चे साइबर ठगी से बचने की जानकारी लेने के बाद अपने अभिभावक को जागरूक करेगे। बीएसए ने इसके लिए दिशा निर्देश समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए जारी कर दिए हैं।
आए दिन होती है लोगों से ठगी
मऊ । ऑनलाइन साइबर ठगी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। साइबर ठगी करने वाले शातिर तरह तरह से ठगी करते हैं। लोगों के मोबाइल नंबर प्राप्त करने के बाद लोगों को तरह तरह के प्रभोलन देकर ठगी की जाती हैं। लकी ड्रा, जैकपॉट , लॉटरी आदि निकलने का लालच देकर ठगी लोगों से की जा रही है। सरकारी कर्मचारियों से भी कई बार विभागीय योजनाओं की जानकारी लेकर ठगी की जा चुकी है। जिससे पुलिस विभाग की टेंशन बढ़ गई है। साइबर सेल के आंकड़ों के अनुसार एक साल में साइबर अपराध की करीब 5000 शिकायतें दर्ज हुई हैं। कई मामलों में तो लोग साइबर अपराध का शिकार होने के बावजूद लोकलाज के कारण शिकायत भी दर्ज नहीं कराते हैं।