लखनऊ। प्रदेश के नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेजों के संकाय सदस्य अध्यापक) और अन्य कर्मी हाजिरी लगाकर गायब नहीं होने पाएंगे। उन्हें पूरी ड्यूटी करनी होगी। इतना ही नहीं एक ही अध्यापक के नाम से अलग- अलग कॉलेजों की मान्यता लेने के खेल पर भी पाबंदी लगेगी। इसके लिए सभी कॉलेजों की जियो टैगिंग की जा रही है।
( प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के साथ ही अब नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेजों का पूरा ब्योरा डिजिटल एप से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत बॉयोमीट्रिक व्यवस्था को भी एप से जोड़ दिया जाएगा। इससे मुख्यालय से ही कॉलेजों की स्थिति का कभी भी निरीक्षण किया जा सकेगा। इससे संकाय सदस्यों की उपस्थिति जांची जा सकेगी। इससे कॉलेज संचालक को लेकर आ रही शिकायतों का सत्यापन भी किया जा सकेगा। इसी तरह क्लास रूम और अस्पताल की जियो टैगिंग करने से निरीक्षण करने जाने वाली टीम सही लोकेशन पर पहुंच सकेगी। कॉलेज से संबंधित पूरा ब्योरा देने के लिए
31 जनवरी तक का समय दिया गया है। उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी
के सचिव डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। परीक्षा की ऑनलाइन निगरानी करने के बाद अब जियो टैगिंग की रणनीति अपनाई गई है। इससे हर तरह की धांधली रुकेगी। ब्यूरो
खत्म होगी धांधली : कई बार नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेज मान्यता लेते वक्त S अस्पताल दिखाते हैं, लेकिन बाद में उनका अस्पताल से कोई मतलब नहीं होता है। निरीक्षण करने जाने वाली टीम को कोई भी दूसरा अस्पताल दिखा दिया जाता है। जियो टैगिंग होने से अस्पताल और क्लासरूम आनलाइन संबद्ध हो जाएंगे। ऐसे में किसी भी तरह की धांधली नहीं हो पाएगी।