नई दिल्ली, ब्यूरो। फर्जी जीएसटी रिफंड और इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने वालों पर नकेल कसने की तैयारी हो रही है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार जीएसटी रिटर्न फॉर्म में संशोधन या सुधार करने की सुविधा को वापस ले सकती है।
यह कदम इस संशोधन सुविधा के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के मामले सामने आने के बाद उठाए जाने के बाद लिया जाएगा। हाल ही में जीएसटी में फर्जीवाड़े की पड़ताल करने वाली एजेंसियों को इन मामलों का पता चला है। गौरतलब है कि इन एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में (दिसंबर 2023 तक) 18 हजार करोड़ रुपये के 1,700 फर्जी आइटीसी मामलों का पता लगाया है। इस संबंध में 98 धोखेबाजों को गिरफ्तार किया गया है।
एक प्रमुख कारोबारी वेबसाइट के मुताबिक , पिछले कई वर्षों से कारोबारी आयकर विभाग की तर्ज पर जीएसटी रिटर्न को भी संशोधित कर दोबारा दाखिल करने की सुविधा देने की मांग कर रहे हैं।
सरकार इस पर विचार भी कर रही है, लेकिन अभी कर दावों में यह सुविधा देने पर जिस तरीके से इसका बड़े पैमाने पर इसका दुरुपयोग किया गया, अब उसका खामियाजा ईमानदारी से जीएसटी चुकाने वाले कारोबारियों को उठाना पड़ सकता है।
अभी आईटीसी दावे में संशोधन की सुविधा
फिलहाल जीएसटी रिटर्न एक बार दाखिल करने के बाद इसमें संशोधन या सुधार करने की सुविधा नहीं है, लेकिन कारोबारियों को इससे होने वाली परेशानी को देखते हुए सरकार ने कुछ समय पहले ही जीएसटी के रिटर्न फॉर्म-1 में संशोधन और जीएसटी के रिटर्न फॉर्म 3बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे को संशोधित करने की सुविधा शुरू की है। बताया जा रहा है कि इसे बंद किया जा सकता है।
बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ
दरअसल जीएसटी चोरी के खिलाफ सरकार पिछले साल मई से बड़ी मुहिम चला रही है। जांच में अभी तक करीब 44 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है। साथ ही 29,273 बोगस कंपनियों का पता चला है जिसके जरिए जीएसटी के फर्जी बिल बनाकर जीएसटी चोरी की गई। इस मुहिम में 121 लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं।