दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी को महज इसलिए बर्खास्त नहीं कर सकते क्योंकि उसने उचित माध्यम दरकिनार कर सीधे शीर्ष अधिकारियों को अपना प्रतिवेदन भेजा। शीर्ष कोर्ट ने 21 साल पहले नौकरी से हटाए गए अदालत कर्मी को बहाल करने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की है।
जस्टिस बी. आर. गवई और पी.के. मिश्रा की पीठ ने ‘अपने फैसले में कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जब वित्तीय कठिनाई में होता है तो वह सीधे शीर्ष अधिकारियों के समक्ष अपनी मांग और समस्या के बारे में प्रतिवेदन दे सकता है। पीठ ने कहा कि ऐसा करना अपने आप में कोई बड़ा कदाचार नहीं है, जिसके लिए नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए।’ पीठ ने इसके साथ ही,
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसला भी रद्द कर दिया। छत्रपाल की ओर से शीर्ष अदालत को बताया गया था कि बरेली जिला अदालत के अन्य कर्मियों ने भी
अपनी समस्या और मांग को लेकर सीधे शीर्ष अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजा था, लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। बरेली की जिला अदालत में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी छत्रपाल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री सहित उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारियों को सीधे प्रतिवेदन भेजने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था।