अफसर बीबी की धौंस दिखा भ्रष्टाचार में लिप्त खंड शिक्षा अधिकारी
गाजीपुर। एक तरफ शासन भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कर रहा है वहीं बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी इस अभियान की हवा निकालने में लगे हुए हैं। महानिदेशक बेसिक शिक्षा उत्तरप्रदेश के द्वारा कई बार इस आशय के निर्देश अधिकारियों को दिए जा चुके हैं कि बकाया वेतन भुगतान मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से आनलाईन किया जाये। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्तर पर इसे अधिकतम 3 कार्यदिवस में परीक्षण कर निस्तारित करने के निर्देश हैं। किंतु गाजीपुर जनपद के करंडा ब्लॉक के खण्ड शिक्षा अधिकारी इस आदेश को ठेंगा दिखाते हैं। दो महीने से अधिक समय से अध्यापकों के आवेदन उनके पोर्टल पर पेंडिंग हैं।
जिन अध्यापकों के द्वारा बकाया वेतन भुगतान हेतु आनलाईन आवेदन किया जाता है, खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा उनके विद्यालय का निरीक्षण कर धन की माँग की जाती है। माँग पूरी न होने पर आवेदन को अकारण ही निरस्त कर दिया जाता है। बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत करने के एवज में भी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा धन की माँग की जाती है। माँग पूरी न करने पर आवेदन निरस्त कर दिए जाते हैं। लेकिन जब घूस मिल जाती है तो फिर उसी आवेदन को स्वीकृत कर दिया जाता है। कुछ अध्यापकों ने जब इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करनी चाही तो उन्हें यह भय दिखाया जाता है कि उनकी पत्नी प्रयागराज में उच्च पद पर आसीन है जिससे कोई मेरा कुछ नहीं कर सकता। भ्रष्टाचार की इस मुहिम में कुछ अध्यापक भी शामिल हैं जिनमें से एक खुद को एक शिक्षक संगठन का ब्लॉक अध्यक्ष बताकर विद्यालय अवधि में खण्डशिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपस्थित रहते हैं।
अध्यापकों का कहना है कि यदि खण्ड शिक्षा अधिकारी के पोर्टल की जाँच की जाए तो इनके भ्रष्टाचार का खुलासा स्वतः ही हो जाएगा। इस मामले में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ गाजीपुर के जिला संयोजक डॉ० दिग्विजय सिंह से अध्यापकों ने बात की जिससे डॉ० दिग्विजय सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारी करंडा से बात करनी चाही किंतु उन्होंने फोन पर बात करने में असहमति जताई जिससे डॉ० दिग्विजय सिंह ने कहा यदि अध्यापकों के समस्या 2 दिन के अंदर समाप्त नही होती है तो सारे अध्यापक बीआरसी करंडा पहुंच कर अपना रोष व्यक्त करेंगे।