लखनऊ। किशोरावस्था में दाखिल हो रहे अपने बेटे या बेटी की – मानसिक, शारीरिक स्थिति में रहे बदलाव को लेकर सतर्क हो जाएं। उनमें हो रहे हार्मोनल बदलावों से पैदा होने वाली जिज्ञासाओं का सही समाधान न मिलने पर वह भटकाव की राह पर जा रहे हैं। मन में उठने वाले ख्यालों की वजह खंगालने के लिए वह इंटरनेट गुरु की शरण लेते हैं, जहां मिलने वाली अधकचरी जानकारी समाधान के बजाय समस्या और बढ़ा रही है। आमतौर पर किशोरावस्था की पीढ़ी के मन में सर्वाधिक सवाल सेक्स एजुकेशन यौन शिक्षा) से जुड़े आते हैं। इसके लिए बहुत से युवा इंटरनेट की गलत सूचनाओं पर अमल कर सेहत खराब कर बैठते हैं। ऐसे में गलत कदमों के चलते वह अस्पताल की दहलीज तक पहुंच रहे हैं। केजीएमयू मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से 250 युवाओं पर किए गए शोध में यह खुलासा हुआ है। यह शोध पत्र इंडियन जनरल ऑफ साइकोलॉजिकल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
केजीएमयू ने 15 से 25 साल के युवाओं पर यह शोध किया है। यह सभी युवा बीते एक साल के दौरान ओपीडी में आए। खास बात यह रही कि इनमें 80 से 90 फीसदी को कोई गंभीर समस्या नहीं थी। मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक किशोरावस्था एक ऐसी उम्र है, जब शरीर में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं।
जेहन में बहुत से सवाल उठते हैं। डॉ आदर्श के मुताबिक अधूरी व गलत जानकारी परेशानी का सबब है।