लखनऊ। शिक्षा मंत्रालय की ओर से समर्थ पोर्टल को प्रदेश में लागू करने की कवायद का सबसे बड़ा फायदा राज्य विश्वविद्यालयों को सुरक्षित डाटा के रूप में मिलेगा। विश्वविद्यालय का डाटा केंद्रीय पोर्टल पर होगा और एक क्लिक पर यह उपलब्ध होगा। इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना है। दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के बाद इसे लागू करने की कवायद तेज हो गई है।
राज्य विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके विद्यार्थियों का डाटा सुरक्षित रखना है। अभी विश्वविद्यालयों का परीक्षा से जुड़ा
समर्थ पोर्टल वन नेशन वन डाटा की ओर एक अहम पहल
कम होगा विश्वविद्यालयों का आर्थिक बोझ, भटकना भी नहीं पड़ेगा
काम किसी न किसी एजेंसी के पास होता है। एजेंसी के जाने के साथ ही विश्वविद्यालयों का हाथ डाटा के मामले में खाली होता है। इससे उन्हें काफी दिक्कत उठानी पड़ती है। यही वजह है कि इस तरह के केंद्रीयकृत पोर्टल की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि विश्वविद्यालय डाटा के लिए एजेंसियों पर न निर्भर हों।
जानकारी के
विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल पर जो क्लाउड सर्वर पर सेव होगा। वे इसका प्रयोग अपनी लॉगिन आईडी से कर सकेंगे।
ऐसे में एक तरफ जहां उनकी किसी एजेंसी पर निर्भरता नहीं होगी, वहीं उन्हें इसके लिए अलग से कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। विद्यार्थियों के साथ-साथ इस पोर्टल पर शिक्षकों का डाटा व अन्य कामकाज भी ऑनलाइन किए जा सकेंगे। वह अपने शोध, पेटेंट, प्रशासन को अपडेट कर सकेंगे। साथ ही कहीं से भी छुट्टी आदि के लिए आवेदन कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन फाइलों की ट्रैकिंग भी कर सकेगा।
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समर्थ लागू करने के लिए बनाई कमेटी
एकेटीयू के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय में समर्थ पोर्टल को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी में एक डीआर, एक एआर व तकनीकी टीम के सदस्य शामिल हैं। इसकी पहली बैठक हो चुकी है और सभी संबंधितों को डेमो लॉगिन भी दे दिया गया है। वह 30 अप्रैल तक इस पर अपना डाटा अपलोड करेंगे और एक से दस मई तक इसकी टेस्टिंग करेंगे। पहले चरण में हम इसका काम 10 मई तक शुरू कर देंगे।