एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) में पांच हजार से अधिक शिकायतों के बावजूद राज्य विश्वविद्यालयों के जिम्मेदार अफसर सुनने को तैयार नहीं हैं। जीपीएफ, पेंशन या डिग्री कॉलेजों के प्रकरण में विश्वविद्यालय की ओर से यह आख्या दी जा रही है ‘हमसे संबंधित नहीं है’ जो कि निस्तारण का उचित तरीका नहीं है। इसे गंभीरता से लेते हुए शासन के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने उच्च शिक्षा निदेशक, विश्वविद्यालयों के कुलसचिव और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है।
निर्देश दिया है कि कोई भी शिकायत किसी भी महाविद्यालय से संबंधित है तो
वह शिकायत अन्ततः उच्च शिक्षा विभाग की शिकायत है। अगर शिकायत के निस्तारण में किसी भी प्रकार की समन्वय की आवश्यकता है तो कुलसचिव सीधे शिकायतकर्ता के मोबाइल नंबर पर बात करके अथवा संबंधित महाविद्यालय से सीधे बात करके कोई औपचारिकता अवशेष है तो उसको पूर्ण कराते हुए प्रकरण का गुणवत्तापूर्वक अंतिम रूप से निस्तारण कराएं। इसी प्रकार निदेशालय को विश्वविद्यालय से जो भी आख्या मिलती है उक्त का एवं संलग्नकों का आवश्यक बात करके कुलसचिवों महाविद्यालय अधिकारियों हो समन्वय अंतिम रूप करते हुए अपलोड
गुणवत्तापूर्वक परीक्षण करें। यदि
हो तो सीधे शिकायतकर्ता से अथवा विश्वविद्यालय के से वार्ता कर या से या क्षेत्रीय उच्च शिक्षा के माध्यम से जो भी उचित करते हुए शिकायत का से गुणवत्तापूर्वक निस्तारण आख्या समयबद्ध तरीके से की जाएगी। विलम्ब होना, समय से निस्तारण न होना अथवा अधूरी आख्या पर जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा.
उच्च शिक्षा निदेशक स्तर पर सिर्फ 60 मामले लंबित
उच्च शिक्षा निदेशक के स्तर से आईजीआरएस के सिर्फ 60 मामले लंबित हैं। 7855 शिकायतें मिली थी जिनमें से 770 का निस्तारण हो चुका है। पांच डिफाल्टर हैं