लखनऊ। दुबग्गा में चल रहे मदरसे को अवैध बताते हुए उप्र. राज्य बाल आयोग की टीम ने 21 बच्चों को रेस्क्यू किया था। इन बच्चों को मोहान रोड स्थित बालगृह में आश्रण दिलवाया गया है। बृहस्पतिवार को दिन भर कवायद चलती रही। सवाल ये था कि आखिरकार लगातार मदरसों से बच्चों को रेस्क्यू किया जा रहा है, ऐसे में कानूनी कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार कौन है? अब तक प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। क्योंकि तहरीर ही नहीं दी गई। इस प्रकरण में जिम्मेदार अपने-अपने तर्क दे रहे हैं रेस्क्यू बाल आयोग ने किया। इस संबंध में जब आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जांच के बाद प्रकरण की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शुरुआत में केस दर्ज कराने की बात से वह इनकार करती रहीं। आखिर में कहा कि शुक्रवार को एक प्रत्यक्षदर्शी के जरिये तहरीर दी जाएगी
आयोग ही शीर्ष, हम कुछ नहीं करेंगे
बाल कल्याण समिति के चेयरमैन रवींद्र जादौन का कहना है कि बाल आयोग शीर्ष संस्था है, ऐसे में हम कुछ नहीं कर सकते।
तहरीर मिलेगी तो दर्ज करेंगे मुकदमा
तहरीर मिलेगी तो एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में रेस्क्यू कराने वाली संस्थाएं या फिर सीडब्ल्यूसी की तरफ से तहरीर दी जाती है। – आकाश कुलहरि,
संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध
मान्यता प्राप्त मदरसों में ही हमारा दखल
मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता लेने वाले मदरसों में बोर्ड का दखल होता है। है। अगर मदरसे की बोर्ड से मान्यता नहीं है तो उसमें हमारा दखल नहीं रहता है। वैसे दो कमरों में अगर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है तो उसे मदरसा नही कहा जा सकता है। वो मकतब हो सकता है। – डॉ. प्रियंका अवस्थी, रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद
घरवालों को दी गई सूचना
बच्चों के घर दरभंगा सूचना भेज दी गई है। अयोध्या से रेस्क्यू किए गए बच्चों में से 60 को उनके घरवालों को सौंपा जा चुका है। – विकास सिंह, डीपीओ