देवरिया। बेसिक शिक्षा विभाग के समस्त कर्मचरियों, शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को आईडी कार्ड उपलब्ध कराने की योजना जिले में 2020 में बनी थी। हालांकि, चार साल बाद भी सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को यह नहीं मिल पाया है। शिक्षक संगठन इसके लिए आए धन में गोलमाल किए जाने का आरोप लगा रहे हैं।
जिले में वर्तमान में 2121 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें छह हजार से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक कार्यरत हैं। चार साल – पूर्व आई योजना के अनुसार इन – सभी का आईडी कार्ड बनना था। यह दो चक्र में बनाया जाना था। इसके लिए शिक्षकों ने बीआरसी
कार्यालय पर फोटो सहित अन्य संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। इन आईडी कार्ड पर संबंधित शिक्षक को मानव संपदा कोड भी दिया जाना था।
चार साल बाद भी यह योजना
जिले में परवान नहीं चढ़ पाई है। हकीकत यह है कि केवल 20 प्रतिशत शिक्षकों को ही आईडी कार्ड मिला, 80 प्रतिशत शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक आज भी इसके मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इधर, सभी का पहचानपत्र नहीं
बनने पर शिक्षक संगठन इसके लिए आए धन में विभागीय अधिकारियों से लेकर जिस एजेंसी को इसका टेंडर दिया गया था, उसकी ओर से गोलमाल किए जाने का आरोप लगा रहे हैं।
जूनियर शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष हेमा त्रिपाठी ने बताया कि सवाल यह है कि जब आईडी कार्ड के लिए धन सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के लिए आया था, मात्र 20 प्रतिशत को ही देकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के लिए आईडी कार्ड बनना था। इस पर उनका मानव संपदा कोड भी दिया जाना था। सभी को क्यों नहीं मिला। इसकी जांच कराई जाएगी।
-शालिनी श्रीवास्तव बीएसए
दो साल बाद भी छह हजार से अधिक शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को विभाग की ओर से परिचयपत्र अब उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। विवरण बीईओ दफ्तरों में जमा करा लिया गया था।
– अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ