ये गर्मी कम न होगी, और इंसानियत कहती है जिस प्रकार के संसाधन है, 12 बजे तक ही होना चाहिए था बेशक 7 से 12 करे दे लेकिन सोचे की शिक्षक भी इंसान है। कई जगह light नही होगी, कैसे पसीने में पढ़ाए जायेगा, निपुण बनाया जायेगा।
जोश और enthusiasm सिर्फ और सकारात्मक वातावरण से मिलता है। पर कोई सोचता नहीं इस तरफ
सिर्फ और सिर्फ यही चलता है की 240 दिन करने है, ये करना है,वो करना है।
अरे धीरे धीरे हम उस समय की ओर जा रहे है जो बहुत मुश्किल होने वाला है। हमे भागोलिक परिस्थिति भी देखनी चाइए।