शासन प्रशासन के द्वारा कर्मचारी या अधिकारियों के ट्रांसफर 3 साल या उससे अधिक समय से जमे हुए लोगों के किए जाते हैं। लेकिन अपने बेसिक शिक्षा विभाग की बात ही निराली है। हमारे यहां ट्रांसफर उन अध्यापकों के करे जा रहे हैं जो कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के माध्यम से ट्रांसफर लिए हुए एक या दो साल हुए हैं।
1 .जूनियर अध्यापक अभी अपने विद्यालय में ही सही से एडजस्ट नहीं हो पाए थे कि दूसरे ब्लॉक में ट्रांसफर होने की प्रक्रिया चल रही है। असल में गलती तो शासन और प्रशासन की पहले से ही है कि जब स्थानांतरण हुए थे तो उन्होंने अध्यापकों को ऐसे स्कूल दिए जहां पहले से ही सरप्लस हो रखा था। अभी यदि वह दूसरे ब्लॉक में जाएगा तो वह बेचारा तो कभी भी सीनियर नहीं हो पाएगा और इस तरीके से वह तो स्कूल ही बदलता रहेगा।
2. अभी जूनियर शिक्षक जो की स्थानांतरण लेकर आए हैं। वह अपने परिवार सहित मकान लेकर रह रहे हैं । अभी दूसरे ब्लॉक में ट्रांसफर हो जाएगा तो फिर मकान ढूंढ़ने की समस्या और बच्चों के स्कूल की समस्या।
3. यदि कम नामांकन की समस्या है तो उसके लिए भी शासन प्रशासन जिम्मेदार है। जब शासन की तरफ से प्राइवेट स्कूलों को NOC ऐसे बांटी जा रही हो जैसे ट्रक में आलू भरकर बेचे जाते हैं । तो सरकारी विद्यालय में तो बच्चे वैसे ही कम होंगे।
4. यदि समायोजन करना भी है तो विभाग के पास पूरी लिस्ट रहती है कि कहां पर शिक्षकों की संख्या अत्यधिक है।
5. सरप्लस में विद्यालय का इच्छुक शिक्षक ट्रांसफर ले सकता है, इस प्रक्रिया को किया जाए। जिन अध्यापकों को आए हुए एक दो साल हुए हैं। उनका ट्रांसफर करने का क्या फायदा?