▪️शासन स्तर पर विभिन्न संगठनों के वार्ता के उपरांत भी सरकार से अपेक्षित परिणाम अब तक भी अनुपलब्ध रहे।
▪️ हमारी मूल माँग ऑनलाइन उपस्थिति के आदेश को निरस्त करने को लेकर था। महानिदेशक महोदया ने एक पत्र निर्गत कर उक्त संदर्भ में कोई विशेष कार्य नहीं किया। यदि हम आंदोलनरत हैं तो हमारे आंदोलन का प्रभाव पड़ना चाहिए। हमारी कुछ मांगों को तत्काल प्रभाव से स्वीकृत किया जा सकता था किन्तु दुःखद है कि माँग के एक भी बिंदु पर अब तक निर्णय नहीं लिया गया है।
▪️जहाँ तक मैं समझता हूँ हमारे मांगपत्र का एक भी बिंदु ऐसा नहीं है जिस पर समिति बनाकर निर्णय करने की उपादेयता है।
- हमें ईएल दिया जाए इसका निर्णय समिति ही क्यों करे..?
- हमें मेडिकल चिकित्सा सुविधा चाहिए इसका निर्णय समिति से ही कैसे हो सकता है..?
- हमें मैरिटल लीव चाहिए इसका निर्णय समिति से ही क्यों सम्भव होगा..?
- महिलाओं को दो विशेष अवकाश प्रतिमाह दिया जाए इसका निर्णय समिति से क्यों होगा..?
- हमारी वेतन विसंगति को दूर किया जाए इसका निर्णय समिति से ही क्यों होगा..?
- शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों का मानदेय बढ़ना चाहिए इसका निर्णय समिति ही क्यों ले..? क्या अधिकारी और सरकार नहीं जानते हैं कि इतने कम मानदेय में व्यक्ति अपना व्यय नहीं चला पायेगा, परिवार को चलाना तो दूर की बात है।
- हमें हाफ़ डे सी एल चाहिए इसका निर्णय समिति ही क्यों करे..?
- विद्यालयों में एक अनुचर और ऑपरेटर की आवश्यकता है, इसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी..?
- हमें राज्य कर्मचारी का दर्जा दे देना चाहिए इसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी..?
- हमको पुरानी पेंशन चाहिये इसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी…?
- बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी है उसकी पूर्ति होगी कि नहीं उसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी..?
- हमारी पदोन्नति होनी चाहिए उसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी…?
- हमारा एच आर ए बढ़ना चाहिये इसका निर्णय समिति ही क्यों करेगी..?
▪️मैं यहाँ किसी संघ अथवा संघ नेता के ऊपर किसी प्रकार का प्रश्नचिह्न नहीं खड़ा करना चाहता हूँ। निश्चित रूप से यथासामर्थ्य सबने कार्य किया है। समिति सर्जन का निर्णय सरकार और विभाग का निर्णय रहा होगा। किन्तु यह भी सत्य है कि हम अपनी बात और दृढ़ता से रख सकते थे। ▪️ शिक्षक साथियों आप सभी को सनद रखना चाहिए कि अब तक हमारे मांगपत्र में से किसी भी बिंदु पर निर्णय नहीं लिया गया है और न ही किसी पर कोई आदेश आया है। यदि आदेश आया है तो बस ऑनलाइन उपस्थिति के स्थगन पर आया है और वह भी बस कुछ दिनों अथवा माह के लिए ही है। ▪️सम्भव है निकट भविष्य में ऑनलाइन उपस्थिति का भूत बोतल से फिर बाहर आये। अतः बेहतर यही होगा कि जब तक हमारी मांगों को पूर्णरूपेण स्वीकृति न दी जाए तब तक हमें संघर्ष करते रहना चाहिए। हमें अपने आंदोलन को स्थिर नहीं होने देना है। ▪️हमें दृढ़ रहना है,हमें संघर्ष करते रहना है। हमारी माँगे उचित और उपयुक्त हैं। ▪️हम अपने पारम्परिक अवकाशों में किसी भी प्रकार के कटौती के पक्ष में नहीं हैं। हमारी विभागीय सुविधा और अवकाश स्थिति को बनाये रखते हुए हमें सम्मानजनक सुविधाओं से आच्छादित किया जाए।
जय शिक्षक
विजय शिक्षक..!!
'राजा' दिग्विजय सिंह
(गोण्डा)