पदोन्नति का केस बड़ा सीधा सीधा सा है कि 23/08/2010 के पूर्व नियुक्त लोगों की पदोन्नति में टीईटी लगेगा कि नहीं लगेगा।
23/08/2010 के बाद नियुक्त लोगों पर लगेगा यह तो अभी तक हाई कोर्ट में तय है।
मद्रास केस में दिल्ली में क्या डिसाइड होगा यह बाद में पता चलेगा।
वरिष्ठता सूची बनते समय पियूष पांडे ने लखनऊ में रिट किया कि एनसीटीई का नोटिफिकेशन नहीं फॉलो हो रहा है अर्थात बगैर टीईटी पदोन्नति हो रही है।
कोर्ट ने डिसाइड कर दिया कि पदोन्नति के समय एनसीटीई का नोटिफिकेशन फॉलो होगा अभी मात्र वरिष्ठता सूची बन रही है। सचिव साहब के कंसेंट पर मामला डिसाइड हो गया।
इलाहाबाद में विवेक मिश्रा ने भी यही मांग की तो मामला लम्बा खिंच गया। कोर्ट ने पूंछा कि संधान कैसे किया जाएगा।
राहुल पांडे ने लखनऊ में रिट किया तो उसमें भी यह बात आई कि अभी यह वरिष्ठता सूची है। एनसीटीई का नोटिफिकेशन फॉलो होगा। पदोन्नति से सम्बन्धित बेसिक शिक्षा नियमावली के सभी रूल को भी फॉलो करने का आदेश हुआ। दुबारा कोर्ट आने की लिबर्टी भी मिली। बाद में उसका भी लाभ लिया गया।
*जून 2023 में मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश कर दिया कि टीईटी सब पर लागू है 23/08/2010 के पहले वाले बिना टीईटी सिर्फ जिस पद पर हैं उसी पद पर नौकरी में बने रह सकते हैं*
*पदोन्नति लेना है तो जिस संवर्ग में जाना चाहते हैं उस संवर्ग की टीईटी उत्तीर्ण करें। एनसीटीई ने ऑर्डर से सम्बन्धित पत्र जवाब भी भेज दिया।*
_*विवेक मिश्रा केस में एनसीटीई का काउंटर आया कि 23/08/2010 के पहले वालों पर इस डेट को जारी एनसीटीई के नोटिफिकेशन का पैरा 4 लागू होगा।*_
राहुल पांडे ने पूर्व में मिली लिबर्टी का लाभ लिया और बिना टीईटी 6 जनवरी 2024 को पदोन्नति देने के निर्णय को चुनौती दी। राहुल पांडे की याचिका पर पदोन्नति पर रोक लगी।
उसके बाद हिमांशु जी ने यह मुद्दा डीबी में vires में उठाया कि बेसिक शिक्षा नियमावली की रूल 18 जो कि पदोन्नति से सम्बन्धित है उसमें टीईटी का न होना गलत है।
*कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो जो टीईटी उत्तीर्ण हैं उनकी पदोन्नति कर सकती है मगर जिनकी पदोन्नति होगी वे याचिका के अंतिम निर्णय के आधीन रहेंगे अर्थात यदि कोर्ट ने फाइनली डिसाइड किया कि 23/08/2010 के पहले वालों को टीईटी से राहत है तो फिर जो टीईटी वाले पदोन्नति पाए हैं उनको डिमोट होना पड़ेगा यदि पर्याप्त रिक्ति नहीं है। अर्थात सीनियर्स को प्रमोट करेंगे।*
*मगर कोर्ट ने आदेश में टीईटी उत्तीर्ण को पदोन्नति देने के लिए सरकार को विवश नहीं किया, अर्थात बाध्यकारी आदेश नहीं दिया।*
अर्थात सरकार चाहे तो जब तक केस डिसाइड न हो पदोन्नति न करे।
विवेक मिश्रा के काउंटर के आधार पर शिवकुमार पांडे की याचिका पर इलाहाबाद में सिंगल बेंच ने 23/08/2010 के पहले वालों को पदोन्नति में टीईटी से राहत दे दी।
इससे बस इतना हुआ कि यदि हिमांशु की डीबी की याचिका के सुझाव पर विभाग पदोन्नति करना भी चाहती तो अब नहीं करेगी।
क्योंकि डीबी ने बाध्यकारी आदेश किया नहीं है और सरकार सिंगल जज के आदेश पर 23/08/2010 के पहले वालों को बगैर टीईटी पदोन्नति नहीं देगी क्योंकि डीबी का आदेश ऐसा होने नहीं देगा। क्योंकि डीबी ने सिर्फ टीईटी पास को पदोन्नति देने की बात की है।
सिंगल जज ने टाइम बाउन्ड आदेश किया है और एक निश्चित समय में पदोन्नति का आदेश किया तो शिव कुमार पांडेय जी कंटेंप्ट में जायेंगे तो सरकार अपने बचाव में डीबी का ऑर्डर रख देगी।
शिव कुमार पांडेय के सिंगल बेंच के आदेश पर राहुल पांडे ने अपील किया है कि 23/08/2010 के पहले वालों को भी पदोन्नति में टीईटी से राहत न दी जाए और शिव कुमार पांडेय केस का ऑर्डर रद्द किया जाए।
जिससे कि सिंगल और डीबी के आदेश का कॉन्फ्लिक्ट खत्म हो जाए।
✍️ *’अविचल’*