Home PRIMARY KA MASTER NEWS लक्ष्य : देश में हर साल 80 लाख रोजगारों का सृजन करना जरूरी, बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में गैर कृषि क्षेत्रों में श्रमबल बढ़ाने पर जोर

लक्ष्य : देश में हर साल 80 लाख रोजगारों का सृजन करना जरूरी, बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में गैर कृषि क्षेत्रों में श्रमबल बढ़ाने पर जोर

by Manju Maurya

इन योजनाओं में बनेंगे मौके

समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि गैर-कृषि क्षेत्र में प्रतिवर्ष 78.5 लाख नौकरियों की मांग में पीएलआई योजना (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र कपड़ा योजना (20 लाख रोजगार सृजन) और मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाएं पूरक भूमिका निभा सकती हैं। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारें अनुपालन बोझ को कम करके और भूमि पर कानूनों में सुधार करके रोजगार सृजन में तेजी ला सकती हैं।

नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। देश में बढ़ते कार्यबल को देखते हुए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख रोजगार सृजित करने की जरूरत है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई। समीक्षा में नौकरियों की संख्या का एक व्यापक अनुमान दिया गया है। बढ़ते कार्यबल के लिए इन नौकरियों को देश में सृजित करने की जरूरत है।

कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी घटेगी कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 प्रतिशत थी। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है।

निजी क्षेत्रों को आगे आना होगा समीक्षा के अनुसार, कामकाजी उम्र में हर कोई नौकरी की तलाश नहीं करेगा। उनमें से कुछ खुद का रोजगार करेंगे और कुछ नियोक्ता भी होंगे। आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा आजीविका पैदा करने के बारे में है। इसके लिए सभी स्तर पर सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर प्रयास करना होगा।

लड़कियों का नामांकन बढ़ा

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की नामांकन दर वर्ष 2015 की तुलना में करीब 31 की वृद्धि हुई है। कुल नामांकन वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 4.33 करोड़ हो गया, जबकि यह वर्ष 2021 में 4.14 करोड़ के करीब था।

इन क्षेत्रों पर भी ध्यान

1. निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।

2. लघु, सुक्ष्म व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बढ़ावा देकर देश के आर्थिक विकास को गति देना।

3. कृषि क्षेत्र में नीतिगत बाधाओं को दूर करना, उपज को बढ़ाना

4. तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए राज्यों की क्षमता को बढ़ाने और उन्हें ज्यादा सामर्थशाली बनाने का लक्ष्य।

5. शिक्षा- रोजगार के अंतर को दूर करना। गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर तेजी से पैदा करना।

वित्तीय संपत्तियों में निवेश

अब परिवार वित्तीय परिसंपत्तियों में अधिक संख्या में निवेश कर रहे हैं। एनएसई में पंजीकृत निवेशक मार्च 2024 तक करीब तीन गुना बढ़कर 9.2 करोड़ हो गए है। करीब 20 फीसदी भारतीय परिवार बचत को वित्तीय बाजार में लगा रहे हैं।

सामाजिक सेवा पर खर्च बढ़ा

वित्तीय वर्ष 2018 और वित्तीय वर्ष 2024 के बीच कुल मिलाकर, कल्याणकारी योजनाओं का व्यय 12.8 फीसदी की सालाना वृद्धि दर से बढ़ा है। शिक्षा पर व्यय 9.4 फीसदी सालाना है, जो कुल जीडीपी वृद्धि दर से थोड़ा कम है।

ये चुनौतियां सामने रहेंगी

● वैश्विक अर्थव्यवस्था में मुश्किल के चलते आपूर्ति श्रृंखला पर असर

● इससे पूंजी प्रवाह पर असर संभव, निजी क्षेत्र हो सकता है प्रभावित

● वित्त वर्ष 2024 में आईटी क्षेत्र में रोजगार सृजन धीमा, आगे भी बड़े उछाल की उम्मीद नहीं

● निजी क्षेत्रों में भी भर्तियां धीमी, वेतन में उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ा

● एआई के कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर को लेकर अनिश्चितता बनी

सर्वेक्षण की प्रमुख बातें

रेल और राजमार्ग निर्माण

रेल पथ व राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में तेजी आई है। 2014 की अपेक्षा 2024 में देश में हर रोज 34 किलोमीटर प्रतिदिन राजमार्ग बनाए जा रहे हैं। वहीं रेलवे प्रतिदिन 12 किलोमीटर से अधिक नई रेल लाइनें बिछा रही है, जोकि एक रिकार्ड है।

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