टैबलेट आपदा-विरोध ही विकल्प है.!
ज़ब तक हमारी मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक शिक्षक शपथ लेते हैं कि ऑनलाइन उपस्थिति नहीं देंगे।
▪️इसे प्रकृति की मार कहें या विभाग की, निश्चित रूप से यह भ्रमपूर्ण स्थिति है। एक ओर ईश्वर के क्रोध का स्तर यूँ है कि तमाम विद्यालयों तक आवागमन पूर्णरूपेण बाधित है, ईश्वर का कोप अनवरत गतिमान है, वहीं दूसरी ओर विभाग के प्रमुखों का टैबलेट को लागू करने का विचार दृढ़ होता जा रहा है।
▪️यथार्थ में उत्तर प्रदेश वैविध्यपूर्ण प्रदेश है, भौगोलिक रूप से सभी क्षेत्रों में पर्याप्त भेद है। अनेकानेक विद्यालय ऐसे हैं जहाँ तक हमारे शिक्षक साथी अत्यंत कठोर/विषम स्थिति में विद्यालय जाते हैं। हजारों की संख्या में ऐसे विद्यालय भी हैं जहाँ इस समय पहुँच पाना प्रत्येक स्थिति में असम्भव है।
▪️वातानुकूलित कक्षो से विद्यालय के पथ नहीं दृष्टिगोचर नहीं होते हैं। चिलचिलाती धूप, कड़कती बिजली, सिहरती हवाओं के मध्य विद्यालय तक ससमय पहुँचने का संघर्ष अध्यापकों के अतिरिक्त कोई नहीं जानता है, तथापि ये शिक्षकों की कौम सदैव परखी गयी है।
▪️जब भी किसी कर्मचारी के कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए आक्षेप किया गया है तो उसमें शिक्षकों का नाम सबसे पहले लिया गया है। एक ओर समाज हम शिक्षकों की प्रतिष्ठा पर घात-प्रतिघात करता है तो दूसरी ओर विभाग भी नित्य शोषण की पराकाष्ठा को पार करता है। जबकि प्रदेश के सभी विभागों में सर्वाधिक निष्पादन यदि कोई करता है तो वह निःसन्देह बेसिक शिक्षा विभाग ही करता है।
▪️इस स्थिति में मात्र शिक्षकों को ही निष्ठा की कसौटी पर क्यों कसा जाए..? क्या किसी राजस्व कर्मचारी हेतु यह निर्धारण किया गया कि उसे अपने सेवा क्षेत्र में किसी निश्चित समय पर पहुँच जाना है..? क्या पंचायत कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मचारी अथवा अन्य विभाग के कर्मचारियों के लिए इस भांति की बाध्यता स्थापित की गयी..? नहीं, बिल्कुल नहीं..! क्योंकि सरकार अथवा विभाग उनको लेकर किसी प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं है।
▪️इस स्थिति में सभी संघों हेतु यह अंतिम अवसर है कि वे एकजुट हो जाएं और दृढ़ता से टैबलेट के विरोध का मार्ग चुनें। सनद रहे, यदि अभी नहीं तो कभी नहीं..! संघ स्तर पर जो भी मनमुटाव हों उनको त्याग दीजिये और साथ आकर तुगलकी फरमान का विरोध कीजिये।
▪️प्रदेश के सभी शिक्षकों ने सदैव आपके लिए भीड़ का कार्य किया है जब भी दस-बीस-तीस हजार शिक्षकों की आवश्यकता पड़ी है तो हम शिक्षक ही बिना भूत-भविष्य सोचे वहाँ पहुँचें। हम शिक्षकों से ही आप सभी संगठनों के अस्तित्व हैं। यदि आज आप हम शिक्षकों के साथ नहीं हैं तो कल को आप संघों के आह्वान पर हम शिक्षक भी कहीं नहीं जाएंगे।
▪️ज़ब तक हमारी माँगे, यथा-ओ पी एस, वेतन आयोग, ई.एल, सी एल में वृद्धि,शिक्षक सम्मान/गरिमा की गारंटी आदि नहीं दी जायेगी तब तक हम शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति नहीं देंगे।
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▪️प्रदेश के समस्त शिक्षक साथियों से भी आग्रह है कि स्वयं को अतिनवाचारी न सिद्ध करें, यदि एक बार भी आप इस भंवर में गए तो वहाँ से प्रत्यावर्तन सम्भव न हो सकेगा।
✌🏻विरोध का पथ कठिन है किन्तु चलना ही एकमात्र विकल्प है।✌🏻
✌🏻विरोध का पथ कठिन है किन्तु चलना ही एकमात्र विकल्प है।✌🏻
असंख्य शुभेच्छाओं के साथ..
जय शिक्षक जय समाज..!!
– प्रत्येक शिक्षक-प्रत्येक जनपद