मॉनसूनी परिस्थितियां एक बार फिर लखनऊ समेत यूपी के अधिसंख्य जिलों के लिए अनुकूल हैं। एक ओर चक्रवाती हवा का दबाव बन रहा है। दूसरी ओर मानसूनी ट्रफ लाइन अपनी मूल स्थिति में वापस आ रही है। ऐसे में मंगलवार से फिर बारिश की संभावना है। चक्रवाती हवा का दबाव देश के मध्य हिस्से के ऊपर से गुजर रही ट्रफ लाइन को उत्तर में खींचेगा।
मॉनसूनी परिस्थितियां एक बार फिर लखनऊ समेत यूपी के अधिसंख्य जिलों के लिए अनुकूल हैं। एक ओर चक्रवाती हवा का दबाव बन रहा है। दूसरी ओर मानसूनी ट्रफ लाइन अपनी मूल स्थिति में वापस आ रही है। ऐसे में मंगलवार से फिर बारिश की संभावना है। चक्रवाती हवा का दबाव देश के मध्य हिस्से के ऊपर से गुजर रही ट्रफ लाइन को उत्तर में खींचेगा। मौसम विभाग के अनुसार ऐसे में सोमवार से लखनऊ समेत अन्य जिलों में मध्यम से भारी बारिश तक का पूर्वानुमान है। कहीं – कहीं पर ज्यादा बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार मानसूनी ट्रफ लाइन की मूल स्थिति में आने से मौसम तेजी से बदलेगा। अमौसी स्थित मौसम केन्द्र के अनुसार मंगलवार को आमतौर बादल छाए रहेंगे। इस दौरान तेज हवा और बिजली कड़कने के साथ दो या अधिक बार बारिश हो सकती है।
उमस और धूप से बेहाल रहे लोग
सोमवार को उमस-धूप ने लोगों को बेहाल रखा। अधिकतम पारा सामान्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह 37 डिग्री रहा। दूसरी ओर न्यूनतम तापमान सामान्य से 3.3 डिग्री ज्यादा 29.1 रहा। मंगलवार को अधिकतम पारा 36 और न्यूनतम 29 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है।
पूर्वांचल में रिमझिम की जगह सूखे का रिकार्ड बना रहा सावन
जो सावन तेज बारिश और रिमझिम के लिए जाना जाता है, वह सूखे का रिकार्ड बनाता नजर आ रहा है। कम से कम बनारस समेत पूर्वांचल के 10 जिलों में तो यही स्थिति है। एक जून से 29 जुलाई तक के मानसून सत्र में बनारस में 19 तो पड़ोसी छह जिलों में 50 फीसदी से कम बारिश हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि हफ्ते भर के अंदर अच्छी बारिश शुरू नहीं हुई तो धान समेत खरीफ की प्रमुख फसलों पर संकट के बादल छा सकते हैं।
सोमवार को सावन के आठ दिन बीत गए। तीखी धूप और उमस से लोग बेहाल हैं। किसान धान की फसल को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। सावन के पहले सोमवार (22 जुलाई) को फुहारें पड़ी थीं। तब अच्छी बारिश होने की उम्मीद जगी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बनारस में एक जून से 29 जुलाई तक 354 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन हुई है 286.6 मिमी ही। यह औसत से 19 फीसदी कम है। यही हाल बनारस के आसपास के जिलों का है। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए हर रोज विवाद हो रहा है। मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मानसून द्रोणिका पिछले 10 दिनों से दक्षिण की ओर है। इसके चार से पांच दिनों बाद लौटने की उम्मीद है। तभी बनारस और आसपास अच्छी बारिश होगी।
जौनपुर में सबसे कम बारिश
जौनपुर में एक जून से अब तक 323.1 मिमी बारिश होनी चाहिए लेकिन हुई है 129.4 मिमी यानी औसत से 60 फीसदी कम। चंदौली में 58, मिर्जापुर में 57 और मऊ में 56 फीसदी कम वर्षा हुई है। 10 जिलों में सिर्फ बलिया है जहां बादल मेहरबान है।