केंद्र सरकार के
कर्मचारियों के लिए हाल ही में घोषित एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध होगी जो फिलहाल नई पेंशन योजना (एनपीएस) के दायरे में आते हैं। इनमें सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं। एनपीएस से जुड़े 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस चुनने का विकल्प मिलेगा। हालांकि, यूपीएस का विकल्प चुनने वाले लोग वापस एनपीएस का रुख नहीं कर पाएंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में यूपीएस को मंजूरी दी है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों की एनपीएस से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए लाई गई है। एनपीएस को एक जनवरी, 2004 से लागू किया गया था। इसके पहले पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था। ओपीएस की तुलना में एनपीएस कर्मचारियों के बीच अधिक आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाई।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ राज्यों के
यूपीएस का विकल्प चुनने वाले लोग वापस एनपीएस का रुख नहीं कर पाएंगे
विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए 24 अगस्त को यूपीएस को मंजूरी दे दी। यूपीएस से सरकारी खजाने पर हर साल 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है।
आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा कि यूपीएस लाकर सरकार ने एनपीएस की कमियों को दूर करने का प्रयास किया है, लेकिन ओपीएस की तुलना में अब भी कुछ मुद्दे हैं। बीएमएस यूपीएस का विस्तृत अध्ययन करने के बाद ही भविष्य की कार्रवाई तय करेगा। श्रमिक संगठन अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने कहा कि यह मौजूदा एनपीएस का विस्तार मात्र है। उसने आशंका जताई कि यूपीएस लागू होने के बाद इसमें कई विसंगतियां होंगी। उसने कहा कि वह ओपीएस की बहाली के लिए संघर्ष जारी रखेगा।