इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में बड़ा फैसला सुनाते हुए पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द कर दिया है। मामले में कोर्ट ने सरकार को तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है जिसमें आरक्षण के नियमों और बेसिक शिक्षा नियमावली का पालन किया गया हो। हालांकि, सरकार ने भर्ती नियमानुसार होने की बात कही थी। अब कोर्ट ने नई सूची जारी करने का आदेश दिया है।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को लेकर लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने 12 अगस्त को आदेश सुनाया था। आज उस आदेश को आज डिलीवर कर दिया, जिसमें लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने इस भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को सही मानते हुए 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए पूरी लिस्ट को नए सिरे से तीन महीने के अंदर बनाने का उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है l
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी वर्ष 2020 से इस भर्ती में 19000 सीट पर हुए आरक्षण घोटाले की बात कह रहे थे, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस भर्ती में आरक्षण घोटाले को नकार रही थी और आखिरकार आज लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने इस 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीट पर आरक्षण घोटाला मानते हुए 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करते हुए आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों के हित में फैसला दिया और उत्तर प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका दिया है ।
इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह सिर्फ 3.86% तथा एससी वर्ग को 21% की जगह सिर्फ 16.2% आरक्षण दिया गया था और इस प्रकार इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया गया था और इस प्रकार इस भर्ती में 19000 ऐसे गलत तरीके से आरक्षण का घोटाला करके अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया जिन्हें इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना ही नहीं चाहिए था और जिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए था वह चार साल से योगी सरकार से न्याय मांग रहे थे तथा आए दिन लखनऊ में अपने न्याय के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे थे ।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप एवं प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच के आदेश का पालन करना चाहिए तथा हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार भर्ती की नियमावली का पालन कर इस भर्ती की लिस्ट को नए सिरे से बनाना चाहिए तथा इस भर्ती में जो 19000 अभ्यर्थी गलत तरीके से चयनित हो गए हैं उन्हें इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर करें तथा उनसे वेतन की रिकवरी करें तथा आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल करें ।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बेसिक शिक्षा विभाग के प्रदेश स्तर के अधिकारी गुमराह करते रहे और यही कारण रहा कि इस भर्ती में 19000 सीट पर आरक्षण घोटाले की वजह से लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई ।
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच के न्यायमूर्ति ए आर मसूदी एवं न्याय मूर्ति ब्रजराज सिंह द्वारा स्पेशल अपील 172/2023 महेंद्र पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार पर फैसला आने के बाद आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की जीत हुई है और वह इसी न्याय के लिए पिछले चार साल से लड़ रहे थे अब उत्तर प्रदेश सरकार को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दे देना चाहिए तथा 19000 गलत तरीके से लगे अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर देना चाहिए ।