नई दिल्ली, । केंद्र सरकार द्वारा लाई गए एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को महाराष्ट्र द्वारा मंजूरी देने के बाद जल्द ही अन्य राज्यों द्वारा भी इसे अपनाया जा सकता है। खासकर भाजपा शासित राज्य स्कीम को लागू करने का फैसला ले सकते हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्यों की तरफ से भी इस संबंध में ऐलान किया जाएगा।
राज्यों में कर्मचारियों की तरफ से लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग हो रही है। अब केंद्र द्वारा यूपीएस का ऐलान किए जाने के बाद राज्यों सरकारों पर कर्मचारी यूनियनों का भी दबाव आएगा। स्थानीय स्तर पर राज्य कर्मचारी यूनियन अपने-अपने राज्यों में मांग करती आ रही हैं कि उनके राज्य में भी पेंशन सुधार को लागू किया जाए।
जानकार बताते हैं कि भाजपा शासित राज्य अब इस दिशा में सबसे पहले ऐलान कर सकते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य पेंशन सुधार के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान कर सकते है। पूरी संभावना है कि यह सभी राज्य केंद्र द्वारा लाई गए यूपीएस को ही प्रदेश स्तर पर लागू करने की संभावना तलाशने के लिए अपने यहां पर कमेटी का गठन करें।
सरकार ने यू-टर्न लिया : खरगे: कांग्रेस ने यूपीएस की घोषणा को विपक्ष के दबाव का परिणाम करार देते हुए केंद्र सरकार पर रविवार को तंज कसा। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यूपीएस में यू का मतलब मोदी सरकार का यू-टर्न है। चार जून के बाद जनता की शक्ति सत्ता के अहंकार पर हावी हो गई है। इसके साथ उन्होंने सरकार के कई यू-टर्न गिनाए।
आप ने भी घेरा : इस पेंशन योजना को आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने देश के कर्मचारियों के साथ धोखा बताया है। उन्होंने कहा इस योजना से सरकार ने अर्धसैनिक बलों को निकाल कर बाहर कर दिया है, क्योंकि उनकी 25 साल की सर्विस नहीं होती।
कांग्रेस ने वादा पूरा नहीं किया: भाजपा ने रविवार को यूपीएस लाने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए पूछा कि उसने हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्यों (जहां वह सत्ता में है) में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को वापस लाने के अपने वादे को लागू क्यों नहीं किया? भाजपा मुख्यालय में पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केंद्र पर यू-टर्न लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आलोचना की।