पीलीभीत/बीसलपुर। आजादी के 77 वर्षों बाद भी जिले के परिषदीय विद्यालयों में अव्यवस्थाएं हावी हैं। एक ओर विद्यालयों को स्मार्ट बनाने का दावा किया जा रहा है, वहीं विद्यार्थी अब भी फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। एकल शिक्षक वाले स्कूलों में स्थिति और भी खराब है। वहां संचालन करना ही शिक्षकों के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
जिले में बड़ी संख्या में एकल शिक्षक विद्यालयों का संचालन कर रहे हैं। कई जगह शिक्षामित्र व अनुदेशक के भरोसे ही स्कूल चल रहे हैं। बीसलपुर नगर के दुबे प्राथमिक विद्यालय में 130 विद्यार्थियों के सापेक्ष एक शिक्षक सौरभ सदन तैनात हैं। वहीं नवीन दुबे प्राथमिक विद्यालय में 75 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक आलोक सैनी, आदर्श उच्च प्राथमिक विद्यालय (यूपीएस) में 96 छात्र-छात्राओं के सापेक्ष शिक्षक विशाल सक्सेना व एक शिक्षामित्र तैनात हैं।
इसी तरह बड़े प्राथमिक विद्यालय में 62 विद्यार्थियों पर केवल एक शिक्षामित्र शशि बाला, प्राथमिक विद्यालय कैथुलिया में 63 बच्चों पर एक शिक्षक राकेश कुमार सेवाएं दे रहे हैं। यूपीएस बौनी में 59 बच्चों पर शिक्षक हितेश शर्मा तैनात हैं।
स्थायी शिक्षकों का अभाव
परिषदीय यूपीएस में 285 विद्यार्थियों पर तीन अनुदेशक तैनात हैं। यहां एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है, विभाग ने म्यूनिसिपल बोर्ड यूपीएस के सहायक शिक्षक रेहान चिश्ती को इससे संबद्ध किया है। प्राथमिक विद्यालय ग्यासपुर में 98 बच्चों पर एक भी स्थाई शिक्षक तैनात नहीं है। विभाग ने म्यूनिसिपल बोर्ड उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक यामीन अहमद को स्कूल से संबद्ध किया है।
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गर्मी में बुरा हाल, एक कक्षा में बैठ रहे 75 विद्यार्थी
कंपोजिट विद्यालय नौगवां पकड़िया में करीब 612 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। यहां जगह का अभाव होने से प्रत्येक कक्षा में करीब 75 विद्यार्थी बैठते हैं। प्रत्येक कक्षा में दो पंखे लगे हैं। इन दिनों भीषण गर्मी से परेशान विद्यार्थी घर से हाथ वाला पंखा लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। बिजली जाने पर स्थिति और भी खराब हो जाती है।
पूरनपुर के गांव अमरैया कलां के कंपोजिट विद्यालय में फर्नीचर की व्यवस्था न होने से विद्यार्थियों को चटाई पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। कंपोजिट स्कूल में उच्च प्राथमिक में बाउंड्रीवॉल न होने से अक्सर आवारा पशु विद्यालय में आ जाते हैं। गांव खाता के प्राथमिक स्कूल में दो कक्षों में पांच कक्षाओं के विद्यार्थी पढ़ते हैं। इसकी वजह अन्य भवन जर्जर होना है।
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जिले में जिन विद्यालयों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। वहां बजट आने पर फर्नीचर की व्यवस्था की जाएगी। वहीं शिक्षकों के समायोजन का कार्य एनआईसी लखनऊ से किया जाता है।
-अमित कुमार सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी