डीजीपी मुख्यालय ने कहा है कि मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का ब्योरा न देने वाले पुलिसकर्मियों की प्रोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा। इससे जल्द ही पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पद पर प्रोन्नत होने वाले पुलिसकर्मी भी प्रभावित होंगे। चयन वर्ष 2023-24 में प्रोन्नति कोटे में निरीक्षक नागरिक पुलिस, प्रतिसार निरीक्षक व दलनायक पीएसी की डीएसपी पद पर प्रोन्नति की प्रक्रिया चल रही है।
मुख्य सचिव के पत्र के हवाले से डीजीपी मुख्यालय ने परिपत्र जारी करके कहा है कि मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण समयबद्ध रूप से प्रस्तुत न किए जाने पर इसे प्रतिकूल रूप में लिया जाएगा। साथ ही विभागीय चयन समिति की बैठक में उनकी प्रोन्नति पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण पोर्टल पर प्रस्तुत नहींकरदेतेहैं।
भारत में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) की पदोन्नति के लिए कुछ नियम-
– कई वर्षों की सेवा के बाद, एक डीएसपी को राज्य सरकार के कानूनों के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में पदोन्नत किया जा सकता है।
– कुछ पुलिस इंस्पेक्टरों को उनके करियर के अंतिम वर्षों में डीएसपी के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है।
– लोगों को सीधे डीएसपी रैंक में भर्ती करने के लिए हर साल परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं।
– एक डीएसपी राज्य पुलिस बल का एक प्रमुख प्रतिनिधि होता है जो अन्य पुलिस अधिकारियों का नेतृत्व करता है और उन्हें दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
– डीएसपी रैंक की पहचान कंधे के पट्टा पर एक स्टार के ऊपर एक राष्ट्रीय प्रतीक द्वारा की जाती है।
– कमिश्नरेट प्रणाली में, DSP के समकक्ष पद सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) होता है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों में, पद को सर्कल ऑफिसर (सीओ) के रूप में जाना जाता है।
– एक डीएसपी को पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक पर पदोन्नत होने में 10 से 12 साल लगते हैं।