सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को सभी राज्यों से समन्वय करने और दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने को कहा।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर दिशा-निर्देशों को अधिसूचित कर दिया है और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इसकी प्रतियां मुख्य सचिवों या समकक्ष अधिकारियों को भेजे। कोर्ट ने एनसीपीसीआर को दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन के उद्देश्य से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एनसीपीसीआर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्थिति रिपोर्ट मांगने को भी कहा।
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महाराष्ट्र के बदलापुर की घटना के मद्देनजर, एक गैर सरकारी संगठन द्वारा देशभर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को लागू करने की मांग को लेकर आवेदन दायर किया था। एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने शीर्ष अदालत को बताया कि केवल पांच राज्यों ने दिशा-निर्देश लागू किए हैं। गौरतलब है कि लंबित याचिका 6 मई, 2019 से चली आ रही है, जिसके तहत शीर्ष अदालत ने संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए थे।
जेल शिक्षा का हक नहीं छीनती बॉम्बे हाईकोर्ट
मुंबई। जेल की सजा किसी व्यक्ति से आगे की शिक्षा हासिल करने का अधिकार नहीं छीनती। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत को मुंबई के एक कॉलेज में विधि कोर्स में दाखिला लेने की इजाजत देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने 19 सितंबर के आदेश में कहा कि सीट आवंटन के बावजूद कॉलेज में दाखिला लेने का मौका न देना मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।