प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नौकरी के कारण अलग रह रही पत्नी पर क्रूरता और परित्याग का आरोप लगा तलाक मांगने वाले पति की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि नौकरी के कारण यदि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो इसे परित्याग करना नहीं माना जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने याची पति अरविंद सिंह सेंगर की अपील पर दिया है। मामला कानपुर का है। अरविंद की शादी प्रभा सिंह के साथ 1999 में हुई थी। वर्ष 2000 में एक बच्चा भी पैदा हुआ। अरविंद झांसी में लोको पायलट हैं और पत्नी प्रभा सहायक अध्यापिका के पद पर औरैया में तैनात हैं।
पति ने वर्ष 2004 में वैवाहिक पुनर्स्थापना की अर्जी दाखिल कर एकपक्षीय आदेश ले लिया। बाद में पत्नी की अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने वर्ष 2006 में एकपक्षीय आदेश रद्द कर दिया। इसके बाद पति ने वह अर्जी वापस लेकर तलाक का मुकदमा पारिवारिक न्यायालय कानपुर में दाखिल किया। कहा कि पत्नी काफी समय से उनसे अलग और दूर रह रही हैं। यह उनके साथ क्रूरता है। यह माना जाए की पत्नी ने पति का
परित्याग कर दिया है। लिहाजा, तलाक
की डिक्री उनके पक्ष में जारी की जाए। वहीं, पत्नी ने तलाक की अर्जी का विरोध किया। कहा कि अलग जिले में तैनाती के कारण वह पति से दूर हैं। उन्होंने पति का परित्याग नहीं किया है। प्रमाण देते हुए बताया कि 2003 में जब वह बीमार थीं तो उनके पति ने ही प्रधानाध्यापक से मिलकर चिकित्सा अवकाश स्वीकृत कराया था। साथ ही उनका इलाज भी कराया था। इस आधार पर परिवार अदालत ने यह मानने से अस्वीकार कर दिया कि
पत्नी ने पति को छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति को मालूम है कि पत्नी नौकरी कर रही हैं। नौकरी बचाने के लिए उन्हें तैनाती स्थल पर रहना होगा। इसे क्रूरता और परित्याग नहीं माना जा सकता। लिहाजा, पारिवारिक न्यायालय के फैसले पर मुहर लगाते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पति की ओर से दाखिल तलाक की अर्जी खारिज कर दी। संवाद