लखनऊ। राज्य सरकार आउटसोर्सिंग भर्तियों में आरक्षण को लेकर गंभीर कदम उठाने जा रही है। प्रदेश के सभी 80 सरकारी विभागों से पूछा गया है कि उनके यहां अब तक आउटसोर्सिंग से कितनी भर्तियां हुई हैं और इनमें दलित व पिछड़े वर्ग कितने लोगों को रखा गया है। मौखिक रूप से सभी विभागों से रिपोर्ट तैयार करते हुए उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। विभागों द्वारा रिपोर्ट तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बाद यह पूरी तरह से साफ हो जाएगा कि प्रदेश में आउटसोर्सिंग से कितनी भर्तियां हुई हैं और इसमें से आरक्षित वर्ग के कितने हैं।उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय 80 सरकारी विभाग हैं। इन विभागों में जरूरत के आधार पर आउटसोर्सिंग पर कर्मियों को रखा जा रहा है। अनुचर से लेकर उच्च पदों पर आउसोर्सिंग से भर्तियां हो रही हैं। कुछ विभागों में तो आउटसोर्सिंग पर अधिकतर अभियंताओं को रख कर काम चलाया जा रहा है। एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 1 लाख 91 हजार 644 आउसोर्स कर्मी अब तक रखे जा चुके हैं। इनमें किस वर्ग के कितने हैं यह स्पष्ट नहीं है। पिछले दिनों राजनीतिक दलों ने यह मुद्दा उठाया था। इसमें कहा गया कि आउटसोर्सिंग पर होने वाली भर्तियों में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को भी उचित स्थान दिया जाए। खासकर दलितों और पिछड़ों को कोटे के बराबर भागीदारी देने की बात उठ चुकी है। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर मंथन के बाद विभागवार यह रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है कि किस विभाग में कितने आउटसोर्स पर कर्मचारी रखे गए हैं। किस पद पर कितने कर्मचारी हैं। इनमें किस वर्ग के कितने हैं। बताया जा रहा है कि मौखिक तौर पर यह निर्देश विभागाध्यक्षों को दिया गया है। उनसे कहा गया है कि इसकी रिपोर्ट तैयार कराते हुए कार्मिक को उपलब्ध करा दी जाए। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट मिलने के बाद उच्च स्तर पर इसे प्रस्तुत किया जाएगा। माना जा रहा है कि इसके बाद आउटसोर्सिंग पर भर्तियों के लिए सरकार नई नीति जारी कर सकती है। इसमें आरक्षण को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट होगी।
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