प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत वेतन निर्धारण के कारण कर्मचारियों को हुए अधिक वेतन भुगतान की वसूली के बार-बार आदेश दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है।
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कोर्ट ने प्रयागराज के राजकीय मुद्रणालय के निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी से एक हफ्ते में हलफनामा तलब कर पूछा है कि आखिर बार-बार अधिकारी ऐसा आदेश क्यों पारित कर रहे है। क्यों न ऐसे आदेशों को रद्द कर सरकार पर
हर्जाना लगाया जाए।
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- वर्तमान में विभिन्न जनपदों में प्रेषित लिमिट , आदेश संख्या,संबंधित मद ,कंपोनेंट कोड, आदेश संख्या आदि कुछ लिमिट समस्त विद्यालयों में प्रेषित की गई हैं कुछ लिमिट सीमित संख्या में विद्यालयों में
- ARP का आवेदन किसको नहीं करना चाहिए..!
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की अदालत ने राजकीय मुद्रणालय में तैनात रहे प्रधान सहायक राजेंद्र कुमार की याचिका पर अधिवक्ता राजवेंद्र सिंह को सुन कर दिया है।
याची राजेंद्र 31 जनवरी 2024 को प्रधान सहायक के पद से सेवानिवृत हुए। इसके बाद राजकीय मुद्रणालय के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने 15 फरवरी 24 व निदेशक ने 15 मई 2024 को आदेश जारी कर याची की ग्रेच्युटी से 5,41,8230 रुपये वसूली
करने का आदेश पारित कर दिया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दलील थी कि विभाग की ओर से गलत वेतन निर्धारण के कारण याची को पात्रता से अधिक भुगतान किया गया। वेतन निर्धारण में याची की कोई भूमिका नहीं है। याची के सेवानिवृत्ति लाभ से धनराशि की वसूली सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह मामले में निर्धारित विधि व्यवस्था के खिलाफ है।
कोर्ट ने सरकार व राजकीय मुद्रणालय के अधिकारियों से एक हफ्ते में जवाबी हलफनामा तलब करते हुए पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी लगातार अधिकारी इस तरह के वसूली आदेश क्यों जारी कर रहे है।