चंदौसी। नए शिक्षा सत्र शुरू हुए छह माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। फिर भी अब तक जिले के परिषदीय विद्यालयों को कंपोजिट ग्रांट की धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में स्कूल की रंगाई पुताई के अलावा मरम्मत तक का काम अटका है। वहीं चॉक डस्टर से लेकर स्कूल की अन्य जरूरत का सामान शिक्षक स्वयं खरीद रहे हैं।
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जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग के करीब 1289 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालय है। इनमें करीब 1,5400 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन स्कूलों को बच्चों के हिसाब से कंपोजिट ग्रांट का पैसा मिलता है। जिसके तहत 100 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को 25 हजार, 200 छात्र संख्या वाले स्कूलों को 50 हजार और 300 छात्र संख्या वाले स्कूलों को एक लाख रुपये की धनराशि कंपोजिट ग्रांट के रूप में प्राप्त होती है
इस पैसे से अध्यापक चाक से लेकर हाथ धोने के लिए साबुन, टॉयलेट क्लीनर सहित स्कूलों में जरूरत की चीजें खरीदते हैं। साथ ही स्कूलों में रंगाई पुताई भी कराई जाती है। इसके अलावा स्वच्छता सामग्री व छोटी मोटी मरम्मत पर भी कंपोजिट ग्रांट का पैसा खर्च किया जाता है।
शिक्षकों को यह धनराशि 31 मार्च तक खर्च करनी होती है। लेकिन अब अप्रैल से शुरू हुए नए शैक्षिक सत्र को छह माह से ज्यादा का समय बीत चुका हैं, लेकिन अभी तक कंपोजिट ग्रांट की धनराशि स्कूलों को नहीं मिली है। ऐसे में शिक्षक स्कूलों में मरम्मत कार्य व जरूरत का सामान आदि खरीदने के लिए कंपोजिट ग्रांट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
शासन स्तर से कंपोजिट ग्रांट जारी होता है। अभी कंपोजिट ग्रांट के लिए शासन स्तर से बजट जारी नहीं किया गया है। बजट जारी होने पर ही विद्यालयों को कंपोजिट ग्रांट जारी होगी। – अलका शर्मा, बीएसए, संभल