लखनऊ। साइबर ठगों ने अस्पतालकर्मी को एक घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 61 हजार रुपये वसूल लिए। सीबीआई अधिकारी बनकर जालसाजों ने कई मामलों में उनकी संलिप्तता होने की बात कहकर धमकाया।
गुडंबा के आदर्श कॉलोनी निवासी सुनील कुमार प्रजापति के 28 सितंबर साढ़े नौ
मुताबिक, अस्पतालकर्मी ने की सुबह विभूतिखंड थाने में की शिकायत
बजे अंजान नंबर से वीडियो कॉल आई। फोनकर्ता ने खुद को क्राइम ब्रांच की का अधिकारी बताया और कहा कि 7 एक जांच में तुम्हारी संलिप्तता पाई क गई है। तुम्हें जेल भेजा जाएगा।
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इन्कार पर उसने धमकाना शुरू ब्त कर दिया और एक घंटे तक न डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान ई चार खातों से कुल 61 हजार रुपये र अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा को लिए। कहा कि जांच के बाद रकम ने लौटा दी जाएगी। कॉल कटने पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। उन्होंने विभूतिखंड थाने में केस दर्ज कराया।
कोर्ट के आदेश पर रिटायर्ड इंस्पेक्टर और उसके बेटे पर 57 लाख की ठगी का केस
लखनऊ। गुडंबा के पैकरामऊ निवासी किसान रामप्रकाश ने रिटायर्ड इंस्पेक्टर आदिल नगर निवासी राम विशाल सिंह यादव और उनके बेटे आलोक पर झांसा देकर 57 लाख की ठगी का आरोप लगाया। कोर्ट के आदेश पर गुडंबा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। राम विशाल सिंह यादव पारा में एसओ के पद थे। फिर 2013 में इंस्पेक्टर बनाए गए। वह गुडंबा थाने से सेवानिवृत्त हुए थे।
■ किसान के मुताबिक, राम विशाल ने बताया कि बेटे आलोक के नाम पर पेट्रोल पंप का लाइसेंस है, पर निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल रही है। तुम अपनी कुर्सी रोड वाली जमीन दे दो। हामी भरने पर उन्हें पंप में 51 फीसदी का हिस्सेदार बनाने की बात कही। एक टैंकर तेल की कीमत देने व पंप का निर्माण करवाने को कहा। साथ ही 19 वर्ष 11 माह का किरायेदारीनामा भी बनवा लिया। निर्माण के दौरान उनसे सात लाख रुपये भी ले लिए। निर्माण पूरा होने पर उनको जालसाजी का पता चला। आरोप है कि गुडंबा थाने के अलावा कई अफसरों से शिकायत की। पर मामला सिफर रहा था। (संवाद)
टैक्स असिस्टेंट ने चोरी किया विभाग का चेक, जाली हस्ताक्षर बनाकर 71 लाख रुपये की ठगी की कोशिश
लखनऊ। आयकर विभाग का चेक चोरी कर टैक्स असिस्टेंट ने उस पर फर्जी हस्ताक्षर बनाए। फिर 71 लाख रुपये की ठगी का प्रयास किया। विभाग की जाली दस्तावेज जांच कमेटी ने हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया है।
■ कमेटी में शामिल सदस्य डॉ. प्रीति सिंह के मुताबिक, टैक्स असिस्टेंट गोमतीनगर निवासी हजरतगंज थाने वीरेंद्र कुमार अवस्थी ने पीके त्रिपाठी से एक करोड़ रुपये का लोन में केस दर्ज लिया था। इसके बदले उसने विभाग का 71 लाख का चेक गिरवी रखा था। वह जब चेक इंडियन बैंक शाखा हजरतगंज क्लीयर कराने पहुंचे तो शक होने पर कर्मियों ने आयकर विभाग को कॉल की। विभाग ने रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि 71 लाख का कोई चेक जारी ही नहीं किया गया है। जब त्रिपाठी को बयान के लिए बुलाया तो उसने पूरी बात बताई। डॉ. प्रीति के मुताबिक बीरेंद्र ने विभाग का चेक चोरी किया था। उसने चेक पर जोनल अकाउंट ऑफिसर ललित किशोर सिंह व आयकर आयुक्त टीपीएस निधि वर्मा के जाली हस्ताक्षर किए थे। साथ ही कई अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर कर जाली दस्तावेज भी तैयार किए थे। (संवाद)