। यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र- छात्राओं को 2025-26 सत्र में समय से किताबें मिलेंगी। 2024-25 सत्र में किताबें न छपने से बोर्ड के अफसर खासे चिंतित हैं और नए सत्र के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने एनसीईआरटी से किताबों का कॉपीराइट मांगने के लिए शासन से अनुमति मांगी है।

सूत्रों के अनुसार एनसीईआरटी को वर्ष 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी का दो करोड़ से अधिक रकम प्रदेश सरकार देने को तैयार हो गई है। इस मामले में हाईकोर्ट दायर याचिका का अंतिम फैसला आने पर यदि प्रकाशक रॉयल्टी-जीएसटी की रकम देते हैं तो उसे सरकार अपने पास रख लेगी। कोरोना काल में किताबें नहीं बिकने से नुकसान के कारण रॉयल्टी और जीएसटी देने में असमर्थता जताते हुए प्रकाशकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी।
- अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण प्रक्रिया 2025-26 के फलस्वरूप अर्ह पाये गये शिक्षक एवं शिक्षिका को कार्यमुक्त एवं कार्यभार ग्रहण कराये जाने के सम्बन्ध में।
- सेवा पुस्तिकाओं को अपडेट किए जाने विषयक BSA सीतापुर का आदेश 👆
- शिक्षामित्रों का डाटा अपडेट के संबंध में
- लखनऊ: पेयरिंग के विरुद्ध अभिभावकों/ग्रामीणों द्वारा एकत्र होकर नारेबाजी करने पर विद्यालय के समस्त स्टाफ को कठोर चेतावनी
- रेलवे ग्रुप-C भर्ती में बड़ा बदलाव – प्रतीक्षा सूची (Waiting List) अब खत्म!, देखें यह आदेश
यह मामला अब तक हाईकोर्ट में लंबित है। 2021 की रॉयल्टी और
जीएसटी नहीं मिलने पर एनसीईआरटी ने इस साल किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने से इनकार कर दिया था। किताबें नहीं छपने के कारण बोर्ड की भी काफी किरकिरी हुई थी। ऐसे में नए सत्र के लिए अभी से तैयारियां तेज हो गई हैं। बोर्ड सचिव भगवती सिंह का कहना है कि कोशिश है कि नए सत्र में एक अप्रैल को ही बच्चों के हाथ में नई किताबें पहुंच जाए।
हर बार जुलाई में बाजार में पहुंचती थीं किताबें
पिछले सालों में यूपी बोर्ड की एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए टेंडर की प्रक्रिया फरवरी-मार्च में शुरू होती थी और किताबें जुलाई में बाजार तक पहुंचती थीं। तब तक बच्चे निजी प्रकाशकों की किताबें खरीद चुके होते थे क्योंकि शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो जाता है। इस बार बोर्ड के अफसरों ने अभी से प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि समय से बच्चों को किताबें मिल जाएं