प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि सरकारी पद पर नियुक्ति के लिए सिर्फ आपराधिक मामले में फंसाया जाना ही उम्मीदवारी खारिज करने का वास्तविक आधार नहीं बन सकता है। दहेज के मामलों की जटिल प्रकृति देखते हुए माना कि जहां आरोप गंभीर नहीं और मिलीभगत स्थापित नहीं की जा सकी, ऐसे व्यक्ति को दहेज मामले में आरोपी होने के आधार पर रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है।
- Primary ka master: तीन दिवसीय प्रशिक्षण में अनुपस्थित 21 शिक्षकों को नोटिस
- Credit card statement आते ही तुरंत चेक करें ये जरूरी चीजें
- समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिला समन्वयक (सामुoसहo) कृपया ध्यान दें:-
- मिसाल: एक ही परिवार में 13 लोग हैं शिक्षक
- आओ ज्ञान बढ़ाएं: राज्य सरकार के सेवानिवृत्त/मृत सरकारी कर्मचारियों की मानसिक शारीरिक रूप से अक्षम संतान, जो जीविकोपार्जन में समर्थ नहीं है, को विवाह के उपरान्त भी पारिवारिक पेंशन अनुमन्य होगी
याची बाबा सिंह ने चीफ इंजीनियर लघु सिंचाई लखनऊ के 16 फरवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा असिस्टेंट बोरिंग टेक्नीशियन पर चयन के बावजूद दहेज मामले में आरोपी बनाने के कारण याची को नियुक्ति पत्र से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि चीफ इंजीनियर का आदेश सही नहीं है। कोर्ट ने माना कि याची ने नियोक्ताओं से कोई तथ्य नहीं छिपाया था। जब उसने पद के लिए आवेदन किया था, तब उसके खिलाफ मामला लंबित नहीं था। हाईकोर्ट ने मुख्य अभियंता को याची की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।