प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि सरकारी पद पर नियुक्ति के लिए सिर्फ आपराधिक मामले में फंसाया जाना ही उम्मीदवारी खारिज करने का वास्तविक आधार नहीं बन सकता है। दहेज के मामलों की जटिल प्रकृति देखते हुए माना कि जहां आरोप गंभीर नहीं और मिलीभगत स्थापित नहीं की जा सकी, ऐसे व्यक्ति को दहेज मामले में आरोपी होने के आधार पर रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है।

- Primary ka master: 300 बार उठक-बैठक से छात्र की मौत में हाई कोर्ट से शिक्षक को राहत
- मौसम ए हाल : इन जिलों में आज होगी मेघगर्जन / आकाशीय बिजली / अचानक तेज हवा के साथ वर्षा की संभावना , देखें
- छात्राओं से अश्लीलता में प्रोफेसर पर दुष्कर्म का केस
- पंद्रह दिनों में यूपी बोर्ड परीक्षा की तीन करोड़ कॉपियों का होगा मूल्यांकन
- Primary ka master: बीएसए को स्कूल तक पहुंचानी होंगी किताबें
याची बाबा सिंह ने चीफ इंजीनियर लघु सिंचाई लखनऊ के 16 फरवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा असिस्टेंट बोरिंग टेक्नीशियन पर चयन के बावजूद दहेज मामले में आरोपी बनाने के कारण याची को नियुक्ति पत्र से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि चीफ इंजीनियर का आदेश सही नहीं है। कोर्ट ने माना कि याची ने नियोक्ताओं से कोई तथ्य नहीं छिपाया था। जब उसने पद के लिए आवेदन किया था, तब उसके खिलाफ मामला लंबित नहीं था। हाईकोर्ट ने मुख्य अभियंता को याची की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।