नई दिल्ली, । केंद्र सरकार ने मध्य वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना की शुरुआत की है। केंद्रीय कैबिनेट बैठक में बुधवार को इसे स्वीकृति दी गई। इसके तहत शिक्षा ऋण के ब्याज पर तीन फीसदी की छूट दी जाएगी। इसमें उन परिवारों के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण मिल सकेगा, जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम है।n
- डीएम सहित राजस्व विभाग के कार्मिकों के तबादले पर रोक
- डीएलएड प्रशिक्षु अगले महीने करेंगे निपुण मूल्यांकन
- माध्यमिक शिक्षकों को देंगे प्रशिक्षण छात्रों की करेंगे कॅरियर काउंसिलिंग
- उपचुनाव के कारण निपुण टेस्ट (NAT) अब 25 से, देखें मंडलवार समय सारिणी
- शिक्षकों की अब समर्थ पोर्टल से होगी पदोन्नति
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि योजना के तहत प्रति वर्ष एक लाख युवाओं को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। यह योजना ऐसे छात्रों को ध्यान में रखकर शुरू की जा रही है जो घर की वित्तीय स्थिति ठीक न होने के कारण अच्छे संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
आवेदन के लिए दो पेज का प्रारूप होगा और सत्यापन डिजिटल लॉकर के माध्यम से पूरा होगा। नेशनल इंस्टीट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क के आधार पर शिक्षण संस्थानों का चयन होगा। एनआईआरएफ की समग्र, श्रेणी-विशिष्ट और डोमेन विशिष्ट रैंकिंग में शीर्ष 100 उच्च शिक्षण संस्थान, एनआईआरएफ की शीर्ष 200 की रैंक वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षण संस्थान, भारत सरकार के अधीन आने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थान योजना के तहत आएंगे।
छात्रों के लिए आसान होगी प्रक्रिया
1. आठ लाख से कम आय वाले परिवारों के छात्र को ऋण।
2. साढ़े सात लाख तक के ऋण पर 75 तक की क्रेडिट गारंटी।
3. शिक्षा ऋण पर तीन फीसदी तक की ब्याज छूट।
4. ट्यूशन फीस, कोर्स से संबंधित अन्य खर्चों के लिए बिना गारंटर और कोलेटरल के ऋण मिलेगा।
5. 2030-31 तक 3,600 करोड़ का परिव्यय। सात लाख छात्रों को ब्याज छूट का लाभ मिलेगा।