rampur, परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए शिक्षक समय से पहुंच रहे हैं या नहीं, बच्चों को शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता का मिड-डे मील मिल रहा है या नहीं आदि समस्याओं को लेकर अभिभावक अपनी बात सीधे शासन तक पहुंचा सकें, इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया था।
- बूंदाबांदी से गिरा पारा अभी और बढ़ेगी ठंड, 27 व 28 को ओले गिरने की संभावना
- उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती की लिखित परीक्षा के बाद अब शारीरिक परीक्षा की तिथि घोषित
- कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षक बनने का मौका, निकली इन 03 जिलों की विज्ञप्ति
- बाल विवाह के जोखिम में देश भर के 11.49 लाख बच्चे, स्कूल से ड्रॉपआउट बच्चों पर एहतियात बरतें
- बदलाव: पुरानी गाड़ी बेची तो जीएसटी ‘मुनाफे’ पर ही चुकाना होगा
बावजूद इसके जल्द निदान हो सके, लेकिन जिम्मेदारों ने अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए टोल फ्री नंबरों को दीवार से गायब ही कर दिया है। जिले में अधिकांश विद्यालयों की दीवारों पर ये नंबर गायब हैं। शासन शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और शिक्षकों की सौ प्रतिशत उपस्थिति के लिए गंभीर है, लेकिन धरातल पर स्थिति इससे बिल्कुल उलट है। स्थिति में सुधार के लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने टोल फ्री नंबर जारी किया। इस नंबर को स्कूलों की दीवार पर लिखवाने के निर्देश दिए, ताकि अभिभावक को स्कूल में किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलने पर विभागीय अधिकारी से भी समस्या का समाधान न होने पर भटकना न पड़े।
घर बैठे ही वे शिकायत करा सकें। विभाग की ओर से बीएसए के साथ ही बीईओ और जिला समन्वयकों को समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करते रहने के आदेश हैं, लेकिन किसी भी जिम्मेदार को नंबर लिखवाए जाने की सुध ही नहीं है। साफ है कि या तो अधिकारी कागजों में ही निरीक्षण कर रहे हैं या वे देखकर भी अनजान बने हैं।