संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के गुरुवार को 72 वर्ष पूरे हो गए। वित्त वर्ष 1952-53 में पहली बार निजी क्षेत्र के कर्मियों को ईपीएफओ से जोड़ने का काम शुरू हुआ। अब ईपीएफओ सेवाओं में व्यापक विस्तार की तैयारी कर रहा है।

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- आदेश में पूरी तरह से facts & findings निकाल लिए और अब आगे के लिए तैयारी शुरू कर दी ✍️ हिमांशु राणा
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अंशधारकों को दो बोनस मिले
ईपीएफओ के इतिहास में दो ऐसे अवसर भी आए हैं, जब सदस्यों को जमा धनराशि पर वार्षिक ब्याज के साथ बोनस भी दिया गया। वर्ष 1978-79 में 8.25 प्रतिशत की सालाना दर से ब्याज दिया जा रहा था। इस वर्ष सदस्यों को 0.5 प्रतिशत का अतिरिक्त बोनस भी दिया गया। इसके बाद 2004-05 में फिर से मौका आया, जब नौ प्रतिशत की सालाना ब्याज पर आधा फीसदी का बोनस दिया गया। इसे ईपीएफओ ने गोल्डन जुबली बोनस नाम दिया था।
12 का उच्च ब्याज भी मिला
शुरुआती वर्षों में जमा धनराशि पर कर्मचारी को सालाना तीन प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाता था। 10 वर्ष तक इसी दर पर ब्याज मिला। वर्ष 1989-90 में ब्याज दर बढ़कर 12 फीसदी हो गई, जो 2000-01 के जून तक जारी रही। इसके बाद ब्याज को वित्त वर्ष के शेष महीनों में घटाकर 11 फीसदी कर दिया गया। उसके बाद अगले चार वित्त वर्षों तक सालाना ब्याज दर 9.5 फीसदी रही। मौजूदा समय में 8.25 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जा रहा है।
कर्मचारी जमा-लिंक्ड बीमा योजना 1976
इसकी उद्देश्य कर्मचारियों को सेवा के दौरान मृत्यु के मामले में बीमा लाभ प्रदान करना था। वर्तमान में मृत्यु होने पर सात लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है।
ईपीएफओ का बढ़ता दायरा
● ईपीएफओ में 31 मार्च 1954 तक 1267 कंपनियों के 542000 सदस्य जुड़े थे।
● वर्तमान में 7,84,568 कंपनियों के 7,61,81,266 अंशधारक सदस्य हैं।
● शुरुआत में अंशधारक सदस्य का न्यूनतम आधार वेतन 300 रुपये प्रतिमाह था, जो वर्तमान में 15,000 रुपये है।