प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारी की पहली पत्नी को पेंशन देने के मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति को दो महीने के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत ने सुल्ताना बेगम की याचिका पर दिया है।

- माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित याचिका संख्या-5146/2024 प्रतिमा वर्मा व अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य के सम्बन्ध में।
- शैक्षिक सत्र 2024-25 में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक/शिक्षिका के अन्तर्जनपदीय एवं अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के सम्बन्ध में
- 413 शिक्षकों को मिलेगा जिले से बाहर स्थानांतरण का मौका
- छात्रों व शिक्षकों में मारपीट, दो शिक्षक व तीन छात्र निलंबित
- पी.टी.एम. बैठक अप्रैल – 2025
सुल्ताना की शादी एएमयू के कर्मचारी मोहम्मद इशाक से 24 जून 1978 को हुई थी। शादी के कुछ साल बाद अनबन के चलते वह अपने पिता के घर रहने लगीं। इसके चलते इशाक ने दूसरी शादी कर ली। वहीं, दूसरी पत्नी की मौत के बाद उन्होंने शादमा से तीसरी शादी की थी।
24 अप्रैल 2024 को इशाक की मृत्यु हो गई तो पारिवारिक पेंशन शादमा को मिलने लगी। इस पर सुल्ताना ने एएमयू के कुलपति को पत्र लिख नियमानुसार पारिवारिक पेंशन देने की प्रार्थना की। लेकिन,
सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याची के वकील डीसी द्विवेदी, शशिधर द्विवेदी ने दलील के दौरान गुवाहाटी हाईकोर्ट की फुल बेंच के फैसले ‘मुस्त जुनुफा बीवी बनाम मुस्त पद्मा बेगम’ का हवाला दिया। कहा कि मुस्लिम लॉ के अनुसार पहली पत्नी ही पारिवारिक पेंशन पाने का अधिकार है।
केंद्र सरकार के पारिवारिक पेंशन नियम के अनुसार भी पहली पत्नी को ही पारिवारिक पेंशन मिलनी चाहिए। न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कुलपति को दो माह में याची और विपक्षी को सुनकर फैसला देने का निर्देश दिया