प्रयागराज पीसीएस प्रारंभिक अधिकारी (आरओ) सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में हुए दो बड़े बदलाव के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ न्यायालय में याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है।
अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव नहीं कर सकता है। राजस्थान में अनुवादक भर्ती के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट का आने के बाद अभ्यर्थियों
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ने यूपीपीएससी की ओर से भर्ती प्रक्रिया के दौरान किए गए दो बड़े बदलावों के खिलाफ न्यायालय जाने की तैयारी की है। अभ्यर्थियों के अनुसार आयोग की ओर से जारी पीसीएस परीक्षा-2024 के विज्ञापन में नॉर्मलाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी। अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए हैं कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद आयोग बीच में नॉर्मलाइजेशन को कैसे लागू कर सकता है। वहीं, आरओ/एआरओ परीक्षा-2023
के विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी के दो अलग-अलग प्रश्नपत्रों का प्रावधान था।
बाद में आयोग ने दोनों प्रश्नपत्रों को मर्ज करते हुए एक कर दिया और परीक्ष दो दिन में तीन पालियों में कराने का निर्णय लिया। यह भी नियमों के विपरीत है, क्योंकि आयोग ने विज्ञापन जारी होने के बाद प्रारंभिक परीक्षा के प्रारूप में बदलाव किया। इस तरह आयोग ने पीसीएस और
आरओ/एआरओ परीक्षा के विज्ञापन के विपरीत जाकर भर्ती प्रक्रिया के बीच में दो बड़े बदलाव किए, जो अभ्यर्थियों को मंजूर नहीं है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि समिति इसके खिलाफ न्यायालय में याचिका दाखिल करेगी, क्योंकि आयोग ने
परीक्षाओं के नोटिफिकेशन से छेड़छाड़ की है, प्यो नियमों का उल्लंघन है। प्रशांत के मुताबिक राजस्थान में अनुवादक भर्ती के एक मामले में देश को शीर्ष अदालत की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि भर्ती के बीच में नियम नहीं बदले जा सकते।