ज्ञानपुर। फर्जी और दूसरे के प्रमाणपत्र से नौकरी करने वाले 13 बर्खास्त शिक्षकों की विवेचना शुरू हो गई है। विवेचना के बाद शिक्षकों की गिरफ्तारी हो सकती है।
सभी के खिलाफ पुलिस ने डेढ़ महीने पूर्व जालसाजी, कुटरचना समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
हालांकि कुछ थानों में विवेचना अधिकारियों की उदासीनता से विवेचना शुरू नहीं की गई है। इसे लेकर बेसिक शिक्षा विभाग उच्चाधिकारियों को पत्र लिखेगा।
जिले में 885 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इसमें चार हजार से अधिक शिक्षकों की तैनाती है।
शासन स्तर से जरूरत के हिसाब से शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है। पिछले पांच से छह साल में नियुक्ति से लेकर अन्य
गतिविधियां ऑनलाइन होने से प्रमाणपत्र की खामियां उजागर हो जाती हैं, लेकिन डेढ़ से दो दशक पूर्व की नियुक्ति प्रक्रिया कागजों में ही चलती थी।
प्रेरणा पोर्टल पर सभी अभिलेख ऑनलाइन होने के बाद गड़बड़ी सामने आने लगी है। साल 2024 में जिले में 13 शिक्षक ऐसे मिले जिनके आचार्य, शास्त्री, बीएड, यूपी बोर्ड के प्रमाणपत्र या तो फर्जी पाए गए या दूसरे विद्यार्थी के नाम से अंकित मिले।
जनवरी से जून तक रिपोर्ट आने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सितंबर के शुरुआत में ही 13 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी।
डीएम विशाल सिंह ने ऐसे शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति की। खंड शिक्षा अधिकारियों की तहरीर पर बर्खास्त शिक्षकों के खिलाफ सितंबर और अक्तूबर में औराई, कोइरौना, दुर्गागंज, भदोही, सुरियावां थानों में
मुकदमे दर्ज हुए। कुछ थानों में नियमानुसार
विवेचना शुरू कर दी गई, लेकिन भदोही और औराई में अभी तक मुकदमे की विवेचना को लेकर उदासीनता बरती जा रही है। विवेचना में विलंब करने पर
बेसिक शिक्षा विभाग उच्चाधिकारियों को पत्र लिखने की तैयारी में है। अपर पुलिस पुलिस अधीक्षक डॉ. तेजवीर सिंह ने कहा कि शिक्षकों पर दर्ज मुकदमों की विवेचना चल रही है। जिन थानों में विवेचना में देरी की जा रही है, वहां से जवाब लिया जाएगा।