सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान की।n

- छ़ुट्टी खत्म होने के बाद स्कूलों में ज्वाइन, अंतरजनपदीय पारस्परिक तबादले में 120 परिषदीय शिक्षकों ने बनाया जोड़ा
- अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण प्रकिया 2024-25 के फलस्वरूप अर्ह पाये गये शिक्षक एंव शिक्षिका को परस्पर उनके कार्यरत विद्यालय (School to School) हेतु कार्यमुक्त एंव कार्यभार ग्रहण कराये जाने के सम्बन्ध में।
- 200 से अधिक स्कूलों के शिक्षकों का रोका वेतन, यह थी वजह
- Primary ka master: बेसिक स्कूलों के बच्चे सीखेंगे कोडिंग और एआई
- बेसिक शिक्षा निदेशालय द्वारा नियुक्त शिक्षा मित्रों के मानदेय भुगतान हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्रथम आवंटित किश्त का उपभोग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 77 समुदायों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल करने का निर्णय रद्द कर दिया था। इन 77 समुदायों में अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि क्या सैद्धांतिक रूप में मुस्लिम आरक्षण के हकदार नहीं हैं। इस पर जस्टिस गवई ने मौखिक तौर पर कहा कि धर्म के आधार पर किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया जा सकता।