सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान की।n

- बच्चे बोले- मैडम ने कहा था, दूध में जहर मिला है, पढ़ें पूरा मामला
- शिक्षिका निलंबित: ब्लैकमेल कर युवक से ऐंठे 35 लाख रुपये, गिरफ्तारी के बाद भेजी जा चुकी है जेल
- Primary ka master: अनधिकृत रूप से अनुपस्थित की सूची माह फरवरी 2025
- Shaktikanta Das: पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास को मिली बड़ी जिम्मेदारी, PM मोदी के प्रधान सचिव-2 नियुक्त
- Primary ka master: इन 02 जिलों ARP में आवेदन हेतु तिथि बढ़ी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 77 समुदायों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल करने का निर्णय रद्द कर दिया था। इन 77 समुदायों में अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि क्या सैद्धांतिक रूप में मुस्लिम आरक्षण के हकदार नहीं हैं। इस पर जस्टिस गवई ने मौखिक तौर पर कहा कि धर्म के आधार पर किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया जा सकता।