*बैकिंग कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित, वित्त मंत्री बोलीं- बैंक क्षेत्र में मजबूत होगा प्रशासन*
नई दिल्ली
वित्त मंत्री ने कहा कि विधेयक पास हो जाने के बाद *बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत एक खाताधारक अपने खाते में चार नॉमिनी जोड़ सकेगा।* इसके अलावा सहकारी बैंकों के अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा अन्य निदेशकों का कार्यकाल आठ से 10 वर्ष हो जाएगा। विधेयक में 19 संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
चार नॉमिनी को जोड़ने वाला विधेयक मंजूर
नई दिल्ली, एजेंसी। लोकसभा ने मंगलवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को पारित कर दिया। इस बिल में बैंक खाताधारक को अपने खाते में अधिकतम चार नॉमिनी जोड़ने की अनुमति दी गई है।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश किया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों से बैंकिंग क्षेत्र मजबूत होगा और ग्राहकों तथा निवेशकों के हित को सुरक्षित होंगे। सीतारमण ने विधेयक को चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934; बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949; भारतीय स्टेट बैंक, 1955 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण), 1980 में कुल 19 संशोधन प्रस्तावित हैं। विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों को भुगतान किया जाने वाला पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का प्रावधान भी है।
नॉमिनी की सीमा बढ़ेगी इस विधेयक में प्रति बैंक खाते के लिए नॉमिनी की संख्या को मौजूदा एक से बढ़ाकर चार करने का प्रस्ताव है। इससे बैंक लॉकर धारकों और उनके नॉमिनी को फायदा होगा।
बिना दावे की राशि का निपटारा बिना दावे वाले डिविडेंड, शेयर और बांड के ब्याज या आय को निवेशक एजूकेशन और संरक्षण कोष में स्थानांतरित करेगा। इससे लोगों और निवेशकों को रिफंड दावा करने की सुविधा प्राप्त होगी।
पर्याप्त ब्याज परिभाषित होगा व्यक्तियों के लिए पर्याप्त ब्याज की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा, जिसकी सीमा पांच लाख (1968 में निर्धारित) से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये किया जाएगा।
इस साल बजट में की थी घोषणा
इस विधेयक की घोषणा वित्त मंत्री ने अपने 2023-24 के बजट भाषण में की थी। सहकारी समितियों के संबंध में, सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन केवल सहकारी बैंकों या सहकारी समितियों के उस हिस्से पर लागू होगा जो बैंकों के रूप में काम कर रहे हैं। विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव है