बांदा। परिषदीय स्कूलों में फल वितरण में गुरुजन बाजीगरी कर रहे हैं। कहीं अमरूद तो कहीं केले वितरित किए जा रहे हैं, पर तमाम बच्चे सिर्फ मुंह ताकते रह जाते हैं।
सोमवार को मिड-डे मील के साथ बच्चों को फल वितरण की बारी थी। कई विद्यालयों में कहीं दो तो कहीं तीन दर्जन केले या फिर दो किलो अमरूद खरीदकर वितरण की औपचारिकता कर दी गई। क्योटरा प्राथमिक विद्यालय में 85 बच्चों में 36 केले ही बांटे गए। कुछ बच्चों को केला मिला, कुछ मुंह ही ताकते रह गए।
शहर में स्वराज कालोनी में संचालित प्राथमिक विद्यालय में सोमवार को 42 बच्चों में 25 उपस्थित थे। रजिस्टर में 35 बच्चों की उपस्थिति लिखी थी। पुलिस लाइंस कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक विमल कुमार यादव यहां का चार्ज लिए हैं। सहायक अध्यापक ने बताया कि बच्चों को केला बांटा गया था। इनमें कई बच्चों ने बताया कि उन्हें केला नहीं मिला। डस्टबिन में छिलके देखे तो उसमें महज पांच-छह केले के छिलके पड़े थे।
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इससे साफ है कि यहां फल वितरण की औपचारिकता की गई है, जबकि 42 बच्चों के हिसाब से यहां फल के लिए दो से ढाई सौ रुपये मिलते हैं। इसी तरह तिंदवारी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय सोनरही और क्योटरा में छात्र-छात्राओं के फल वितरण में गड़बड़ी सामने आई। सोनरही के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सोमवार को फल देने की व्यवस्था है। विद्यालय में पंजीकृत 40 छात्राओं में 32 उपस्थित हैं। इन सब के बीच तीन किलो अमरूद बांटे गए हैं। सस्ता होने की वजह से भले ही अमरूद खरीद लिया गया हो, पर सर्दी में बच्चों की यह सेहत बिगाड़ता है।
इसी प्रकार क्योटरा प्राथमिक विद्यालय में 95 बच्चे नामांकित हैं। मौके पर 85 बच्चे उपस्थित मिले। यहां प्रधानाध्यापक प्रज्ञानंद ने बताया कि विद्यालय में 85 बच्चे उपस्थित हैं। तीन दर्जन केले खरीदकर लाए गए थे। 85 बच्चों में 36 केले कैसे वितरित हुए, यह हास्यास्पद है।