लखनऊ। नई पेंशन योजना पेंशनर्स के लिए हितकारी है। इसमें पेंशनर्स को ज्यादा फायदा होगा। ये बात राज्य सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कही।
वे बृहस्पतिवार को बतौर मुख्य अतिथि गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन के द्विवार्षिक महाधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ (अवकाश प्राप्त) एवं न्यायमूर्ति बदरूदुजा नवकी (अवकाश

- बेसिक शिक्षा परिषद से सम्बन्धित ऑनलाइन पोर्टल पर संचालित मॉड्यूल के सम्बन्ध में समीक्षा एवं सुझाव के सम्बन्ध में।
- अंतर्जनपदीय सामान्य ट्रांसफर की आधिकारिक सूची अभी तक जारी नहीं हुई है। जो सूची वायरल हो रही है ,वह आधिकारिक नहीं है अभी , देखें यह सूची
- खण्ड शिक्षा अधिकारियों हेतु 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्बन्ध में।
- बेसिक शिक्षा परिषद् के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षिका के अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के सम्बन्ध में जनपद बरेली में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति विषयक सूचना प्रेषण विषयक ।
- शैक्षिक सत्र 2025-26 में निःशुल्क यूनीफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता-मोजा तथा स्टेशनरी क्रय से सम्बन्धित धनराशि डी०बी०टी० के माध्यम से सीधे छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों के खाते में हस्तांतरित कराये जाने की अद्यावधिक प्रगति तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों के सम्बन्ध में वर्चुअल बैठक।
गवर्नमेंट पेंशनर्स के द्विवार्षिक महाधिवेशन में बोले सुरेश खन्ना
प्राप्त) ने 80 वर्ष साल के 40 सेवानिवृत्त पेंशनर्स को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र आदि से सम्मानित किया।
लोक निर्माण विभाग मुख्यालय परिसर स्थित विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह में वित्त मंत्री ने कहा, वर्ष 2004- 05 से लागू नेशनल पेंशन योजना के तहत पेंशनर्स द्वारा 10 फीसदी कटौती के सापेक्ष सरकार की ओर से 14 फीसदी योगदान किया जाता
कार्यक्रम में बोलते संसदीय वित्त मंत्री सुरेश खन्ना। -संवाद
है। कटौती की जो राशि जिस संस्था में जमा की जाती है उसमें 9.20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, उच्च न्यायालय में
1000 से अधिक मुकदमे चल रहे। इसमें पेंशनर्स की तरफ से मांग की गई है कि राशिकरण की वसूली 11 वर्ष में पूरी हो जाती है, इसलिए 11 वर्ष बाद वसूली रोकी जाए।
राशिकरण की व्यवस्था 1941 से लागू हुई। उस समय कटौती बंद के आदेश नहीं थे। वर्ष 1982 में 15 वर्ष तक ही करने के आदेश हो गए। राशिकरण कराना पेंशनर्स की बाध्यता नहीं है। पेंशनर द्वारा राशिकरण की वसूली 15 वर्ष तक करने का अनुबंध किया जाता है, इसलिए वसूली 15 वर्ष तक ही की जाएगी।