यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रश्नपत्रों की रूपरेखा नए सिरे से तय की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के परिप्रेक्ष्य में कक्षा नौ से 12 तक की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र का प्रारूप फिर से निर्धारित करने के लिए बोर्ड 15 दिसंबर से पहले दो दिनी कार्यशाला आयोजित करने जा रहा है।
प्रश्नपत्रों में हाई ऑर्डर थिंकिंग स्किल (हॉट्स) समेत अन्य प्रकार के प्रश्नों को कितने अनुपात में शामिल करना है और प्रश्नपत्र में सरल, सामान्य और कठिन प्रश्नों की संख्या कितनी होनी चाहिए आदि बिन्दुओं पर विशेषज्ञ मंथन करेंगे।
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वैचारिक समझ बढ़ेगी प्रश्नपत्रों में बदलाव का मकसद छात्र-छात्राओं में रटने और परीक्षा के लिए सीखने की बजाए वैचारिक समझ बढ़ाने पर जोर होगा। नया प्रारूप तैयार करने के बाद शासन को भेजा जाएगा जिसकी मंजूरी मिलने के बाद 2026 की परीक्षा से लागू हो सकता है। सचिव भगवती सिंह के अनुसार प्रश्नपत्रों के प्रारूप पर कार्यशाला से यूपी बोर्ड के विषय विशेषज्ञों की समझ भी बेहतर होगी।
क्षमताओं और योग्यताओं का करेंगे परीक्षण
बोर्ड परीक्षा और प्रवेश परीक्षा सहित माध्यमिक विद्यालय परीक्षाओं की वर्तमान प्रकृति और आज की कोचिंग संस्कृति विशेष रूप से माध्यमिक विद्यालय स्तर पर बहुत नुकसान पहुंचा रही है। इससे वास्तव में सीखने की बजाए विद्यार्थी अपना मूल्यवान समय परीक्षा, कोचिंग और तैयारी में दे रहा है। ये परीक्षाएं छात्रों को एक ही स्ट्रीम में बहुत ही सीमित सामग्री सीखने के लिए मजबूर करती हैं। बोर्ड परीक्षाओं को इस तरह बनाया जाएगा कि वे महीनों की कोचिंग और याद करने की बजाय मुख्य रूप से विद्यार्थियों की मूल क्षमताओं और योग्यताओं का परीक्षण कर सकें।