लखनऊ, यूपी में लाखों शिक्षक, डॉक्टर, कारोबारियों को एआई की पढ़ाई कराई जाएगी। इनमें महिलाएं, स्वयं सहायता समूह से जुड़े किसान भी शामिल हैं। इसके लिए एक महायोजना तैयार की है। महाकुम्भके बाद इस महाअभियान को आगे बढ़ाया जाएगा। अलग-अलग चरणों में इन लोगों को क्लासरूम ट्रेनिंग के जरिए एआई व मशीन लर्निंग के बारे में बताया पढ़ाया जाएगा और व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
इसके लिए ऑफलाइन कक्षाएं लगेंगी। डॉक्टर एआई टूल्स के जरिए बीमारियों की पहचान कर सकेंगे। सरकारी अधिकारी एआई आधारित डिसीजन सिस्टम के बारे में दक्ष होंगे। शिक्षक इसके जरिए शिक्षा प्रबंधन में एआई उपयोग के बारे में सीखेंगे। छात्रों के लिए इसमें रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे। किसान एआई
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चरणवार तरीके से इनको दिया जाएगा प्रशिक्षण
■ सरकारी अधिकारी – आईएएस, पीसीएस अधिकारी, जिला, निदेशालय व निगमों के कर्मचारी
■ शिक्षक व प्रोफेसर – प्राथमिक
से उच्च शिक्षा तक व पालीटेक्निक व आईटीआई के शिक्षक
डाक्टर- सभी शहरी व गांवों में तैनात डॉक्टर
छात्र- माध्यमिक उच्च शिक्षा के छात्र, पालीटेक्निक व आईटीआई छात्र
प्रोफेशनल्स – सभी प्रोफेशनल्स व कामकाजी महिलाएं
ग्रामीण – प्रधान, प्रगतिशील किसान, स्वयं सहायता समूह
ऐसे होगा खर्च का बंदोबस्त
यूपी सरकार इस अभियान पर होने वाले खर्च का कुछ हिस्सा स्वयं खर्च करेगी। इसके अलावा सीएसआर फंड के जरिए भी धन का इंतजाम होगा। केंद्र सरकार ने हाल में बजट में एआई के इस्तेमाल को बढ़ाने का ऐलान किया है। इसके जरिए भी केंद्र से वित्तीय मदद मिलेगी। इसके अलावा एआई की पढ़ाई व प्रशिक्षण के लिए अभ्यर्थियों को कुछ फीस भी देनी होगी। इस पर बाद में निर्णय होगा।
आधारित फसल योजना व कीटनाशक नियंत्रण व बाजार के बारे में बेहतर काम कर पाएंगे।
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