लखनऊ, माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (बोर्ड) का पुनर्गठन नहीं होने से प्रदेश में संस्कृत शिक्षा से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण कार्य अटक गए हैं। बोर्ड का कार्यकाल जुलाई 2024 में ही समाप्त हो चुका है तब से बोर्ड मुख्यालय में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण से लेकर व्यवसायिक कोर्स एवं विद्यालयों की मान्यताओं की संस्तुतियों से पत्रावलियां धूल फांक रही है। सरकार जब नए बोर्ड का गठन करेगी तब इन पत्रावलियों का निस्तारण हो सकेगा। फिलहाल बोर्ड के पुनर्गठन की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में लम्बित पड़ी है।
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बोर्ड के 24 कुल सदस्यों में से 11 मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल पिछले वर्ष जुलाई में समाप्त हो चुका है। इसके बाद से सरकार ने बोर्ड में किसी को मनोनीत नहीं किया है इससे बोर्ड के समक्ष संस्कृत शिक्षा से जुड़े लम्बित कार्यों की सूची लम्बी होती जा रही है। इसमें छात्र-छात्राओं को निःशुल्क ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण दिलाए जाने से लेकर संस्कृत विद्यालयों की मान्यताएं एवं नए व्यवसायिक कोर्स शुरू करने की अनुमति से जुड़े फाइलें प्रमुख हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
बोर्ड के सचिव शिवलाल कहते हैं कि नवम्बर में बोर्ड की बैठक आयोजित की गई थी। कोशिश की जाती है कि कार्यकारिणी की वजह से कोई जरूरी कार्य लम्बित न रहे। इस समय बोर्ड के समक्ष मान्यताओं से जुड़ी कुछ पत्रावलियां लम्बित हैं, कुछ और के आने का इंतजार है। अगली बैठक में इस कार्य को भी पूरा कर दिया जाएगा। संस्कृत बोर्ड परीक्षा 27 फरवरी से प्रारम्भ होकर 12 मार्च को समाप्त हो जाएगी। परिषद ने पिछले वर्ष दिसम्बर में पूर्व मध्यमा द्वितीय से उत्तर मध्यमा द्वितीय परीक्षा के कार्यक्रमों को भी जारी कर दिया है।