शिक्षिका दुल्हन की इंजीनियर दूल्हे ने बैलगाड़ी से कराई विदाई
झांसी, वीरांगना नगर स्थित एक विवाह घर में मंगलवार सम्पन्न हुए विवाह समारोह के बाद बुधवार दुल्हन की विदा काफी चौकाने वाली साबित हुई। इंजीनियर दूल्हे ने जहां बिना दान-दहेज के शादी की, वहीं दुल्हन की विदा बैलगाड़ी से कराई। मार्डन युग में जहां लोग हेलीकॉप्टर व लग्जरी गाड़ियों में दुल्हन की विदाई कर रहे हैं, ऐसे में इंजीनियर दूल्हे ने कहा कि वह कृषि प्रधान देश का नागरिक है और मशीनरी युग में पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने का काम किया है। झांसी जिले के गांव जरयाई चिरगांव में रहने वाले संतोष कुमार विश्वकर्मा का बेटा अभिजीत इंजीनियर है।

अभिजीत की शादी मध्य प्रदेश के गांव मुनावली जिला अशोकनगर निवासी शिक्षक रामगोपाल विश्वकर्मा की शिक्षिका बेटा बबली के साथ मंगलवार को सम्पन्न हुआ। बुधवार को विदाई का मौका था और धराती व बराती दुल्हन की विदाई की तैयारी में जुटे थे, तभी फूलों आदि से सजी बैलगाड़ी देख सभी हैरत में पड़ गए। जब दूल्हे ने बताया कि क्या हुआ विदाई कराईएं? तो सभी ने स्वागत कर धूमधाम से विदाई की। संतोष ने बताया कि उन्होंने बेटे की शादी बिना दान-दहेज से की है। इतना हीं बेटे की इच्छा भारतीय संस्कृति के हिसाब से विदाई की थी, तो इसमें भी परिवार ने साथ दिया।शिक्षिका दुल्हन की इंजीनियर दूल्हे ने बैलगाड़ी से कराई विदाई बिना दान-दहेज की शादी में चौकाने वाले विदाई चर्चाओं में आई झांसी,संवाददाता वीरांगना नगर स्थित एक विवाह घर में मंगलवार सम्पन्न हुए विवाह समारोह के बाद बुधवार दुल्हन की विदा काफी चौकाने वाली साबित हुई। इंजीनियर दूल्हे ने जहां बिना दान-दहेज के शादी की, वहीं दुल्हन की विदा बैलगाड़ी से कराई। मार्डन युग में जहां लोग हेलीकॉप्टर व लग्जरी गाड़ियों में दुल्हन की विदाई कर रहे हैं, ऐसे में इंजीनियर दूल्हे ने कहा कि वह कृषि प्रधान देश का नागरिक है और मशीनरी युग में पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने का काम किया है।
झांसी जिले के गांव जरयाई चिरगांव में रहने वाले संतोष कुमार विश्वकर्मा का बेटा अभिजीत इंजीनियर है। अभिजीत की शादी मध्य प्रदेश के गांव मुनावली जिला अशोकनगर निवासी शिक्षक रामगोपाल विश्वकर्मा की शिक्षिका बेटा बबली के साथ मंगलवार को सम्पन्न हुआ। बुधवार को विदाई का मौका था और धराती व बराती दुल्हन की विदाई की तैयारी में जुटे थे, तभी फूलों आदि से सजी बैलगाड़ी देख सभी हैरत में पड़ गए। जब दूल्हे ने बताया कि क्या हुआ विदाई कराईएं? तो सभी ने स्वागत कर धूमधाम से विदाई की। संतोष ने बताया कि उन्होंने बेटे की शादी बिना दान-दहेज से की है। इतना हीं बेटे की इच्छा भारतीय संस्कृति के हिसाब से विदाई की थी, तो इसमें भी परिवार ने साथ दिया।