प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में पीएचडी दाखिले के लिए संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) का आयोजन फिलहाल नहीं किया जाएगा। सीधे इंटरव्यू के माध्यम से नेट-जेएआफ अभ्यर्थियों को ही दाखिले दिए जाएंगे। सीटें खाली रह जाने की स्थिति में ही लिखित परीक्षा होगी।
अब तक पीएचडी में प्रवेश के लिए क्रेट के रूप में लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाता रहा है और मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता था। इसके बाद अभ्यर्थियों का चयन किया जाता था। बुधवार को हुई इविवि की कार्य परिषद की 88वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि विवि फिलहाल क्रेट का आयोजन नहीं करेगा।

कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से 27 मार्च-2024 को जारी पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए मानक और प्रक्रिया संबंधी अधिसूचना पर विचार करते हुए सदन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया।
तय हुआ कि शोध में प्रवेश के लिए यूजीसी नेट स्कोर को आधार माना जाएगा। यह निर्णय भी लिया गया कि जिन विभागों में नेट योग्यता वाले पर्याप्त उम्मीदवार न आने के कारण सीटें खाली रह जाती हैं, वहां शेष सीटों के लिए संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा
आयोजित की जाएगी।
बैठक में विजिटर के दो नवनियुक्त नामित सदस्य बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ से प्रो. दीपा द्विवेदी और मधुसूदन लॉ यूनिवर्सिटी, राज्य विश्वविद्यालय, कटक के कुलपति प्रो. कमलजीत सिंह
भी शामिल रहे।
प्रो. आशीष खरे रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त : कार्य परिषद की बैठक में कुलसचिव के पद के लिए चयन समिति की सिफारिशों के लिफाफे खोले गए और कार्यवाहक रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे का नाम पांच साल तक प्रतिनियुक्ति पर इस पद के लिए अनुमोदित किया गया।
तीन शिक्षकों का प्रोफेसर पद पर प्रमोशन: कार्य परिषद की बैठक में मनोविज्ञान विभाग के लिए सीएएस के तहत पदोन्नति के लिए समिति की सिफारिशों से संबंधित लिफाफे खोले गए और सदन ने प्रो. चंद्रांशु सिन्हा, प्रो. संदीप आनंद व प्रो. संजय कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए अनुमोदित किया। सदन को सूचित किया गया कि आंतरिक लेखा परीक्षक के साक्षात्कार के लिए कोई उम्मीदवार उपस्थित नहीं हुआ था।
स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम से इविवि
को मिला लाभ कार्य परिषद की बैठक में बताया गया कि पहली बार विश्वविद्यालय विभिन्न स्रोतों जैसे स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों और बेहतर वित्तीय प्रबंधन से आंतरिक संसाधन सृजन के साथ लाभ में चल रहा है।
दो शिक्षकों को प्रशासनिक जिम्मेदारियां न देने की सिफारिश
इविवि में अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एसके शर्मा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुमार पराग के बीच बीते दिनों हुई मारपीट के मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था। समिति ने कार्य परिषद में रिपोर्ट प्रस्तुत की। परिषद ने सर्वसम्मति से दोनों पक्षों के व्यवहार की निंदा की। पेनल्टी ऑफ सेंशियोर की सिफारिश की गई है। सजा की प्रकृति का निर्णय कुलपति द्वारा लिया जाएगा, हालांकि सदन द्वारा अंग्रेजी विभाग के दोनों शिक्षकों के सभी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से पांच साल के लिए वापसी की पुरजोर सिफारिश की गई है और किसी भी अतिरिक्त सजा का निर्णय कुलपति को लेने की अनुमति दे दी गई।
54 शिक्षक और छह कर्मचारी किए गए स्थायी
परिषद की बैठक के दौरान एक प्रोफेसर, आठ एसोसिएट प्रोफेसर व 45 असिस्टेंट प्रोफेसर और छह गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद स्थायी किया गया।