नई दिल्ली, । केंद्रीय वित्त मंत्रालय के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने बीते बुधवार को संशोधित आईटीआर-फार्म-6 जारी किया है। भारत के गजट में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक फॉर्म-6 का बदला हुआ स्वरूप एक अप्रैल, 2025 से लागू कर दिया गया है।
आयकर विभाग ने नया फॉर्म जारी करते हुए बताया कि सीबीडीटी ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए कंपनियों के लिए लागू संशोधित आईटीआर-फॉर्म 6 की गजट अधिसूचना जारी कर दी है। यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए लागू होगा।

यह संशोधन आयकर अधिनियम की धारा 139 के साथ धारा 295 के तहत आयकर नियम, 2025 के जरिये से पेश किए गए हैं। इसका मकसद पारदर्शिता और नियामकीय और रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड के मुताबिक बेहतर अनुपालन की सुविधा देना है।
कंपनियों को अपना कारोबार शुरू करने की तारीख बतानी होगी। इसके साथ ही पंजीकृत कार्यालय का पता, संपर्क विवरण और ईमेल आईडी का विवरण भी देना होगा।
धारा 44बीबीसी में व्यवसाय को स्पष्ट किया गया है। इसके साथ ही इसका संदर्भ जोड़ा गया है। वहीं, नियम 10टीआईए में बदलाव किया गया है, जो कच्चे हीरे की बिक्री से होने वाला लाभ, सकल प्राप्तियों का 4% या उससे अधिक होने की स्थिति में रिपोर्ट करना होगा। इसके अलावा धारा 24(बी) के तहत क्लेम की गई कटौतियों को शामिल करने के लिए बदलाव किए गए हैं। वहीं, टीडीएस की रिपोर्टिंग को लेकर भी बदलाव किए गए हैं।
नए फॉर्म में कंपनियों को कई खुलासे करने को कहा गया है, इनमें पैन, सीआईएन और कॉर्पोरेशन की डेट जैसी जानकारियां देनी होंगी।
बड़े बदलावों में शेयर बायबैक से हुई पूंजीगत हानि को मंजूरी देना शामिल है। इसमें अगर किसी शेयर से लाभांश आय को अन्य स्रोतों से आय के रूप में दिखाया जाता है, तो शेयर बायबैक की वजह से हुई पूंजीगत हानि को आईटीआर में शामिल किया जा सकता है। नुकसान एक अक्तूबर, 2024 के बाद का होना चाहिए।
रिटर्न फाइल करते हुए कंपनियों को कंपनी की प्रकृति स्पष्ट करनी होगी कि कंपनी घरेलू है या विदेशी। इसके अलावा कंपनी ने पहले अपना नाम बदला है या नहीं।
सभी फॉर्म में बदलाव किए गए हैं इस बार
आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए नये आईटीआर फॉर्म जारी कर दिए हैं। इस बार नये फॉर्म में कई बदलाव किए गए हैं, जिससे करदाताओं को कई नई जानकारी रिटर्न भरते समय देनी होंगी। बदलाव के बाद कर-बचत निवेश, आवास किराया भत्ता और वेतन के अलावा अन्य आय पर स्रोत पर कर कटौती की जानकारी देनी होगी।