कौशाम्बी। बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में 89 लाख रुपये से अधिक की खरीदारी में अनियमितता की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई है। 22 मदों में की गई खरीदारी में नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया गया है। हलफनामे के साथ की गई शिकायत को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने गंभीरता से लेते हुए डीएम से जांच कर रिपोर्ट मांगी है। उधर, मामले की भनक लगने के बाद बीएसए कार्यालय में खलबली मच गई है।

चायल ब्लॉक के मोहम्मदपुर मनौरी निवासी धर्मेंद्र कुमार पुत्र रामकैलाश ने सीएम कार्यालय के अलावा प्रमुख सचिव व महानिदेशक स्कूल शिक्षा को हलफनामा के साथ शिकायती पत्र भेजा है। धर्मेंद्र कुमार ने बहुत ही गंभीर आरोप बीएसए पर लगाए हैं। आरोप है कि वर्ष 2023-24 में लगभग 89 लाख रुपये से अधिक की खरीदारी में अनियमितता की गई है।
कुल 22 मदों की खरीदारी में रुपये की हेराफेरी का इल्जाम लगाया गया है। इनमें एसी की खरीदारी से लेकर कम्प्यूटर, लैपटाप, बैटरी, प्रिटिंग मैटेरियल आदि शामिल है।
हलफनामा के साथ दर्ज हुई शिकायत को सीएम कार्यालय ने गंभीरता से लिया है। इसके बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कार्रवाई शुरू कर दी है। महानिदेशक ने डीएम से इस मामले में विधिवत जांच रिपोर्ट मांगी है। इसकी भनक जैसे ही बीएसए कार्यालय को लगी, हड़कंप मच गया। बीएसए कार्यालय में अब अभिलेखों को नए सिरे से दुरुस्त किया जा रहा है।
22 प्रकार के भुगतान में हेराफेरी का इल्जाम
शिकायतकर्ता ने सीएम कार्यालय को हलफनामा भेजकर बताया है कि बीएसए कार्यालय से वर्ष 2023-24 में बड़े पैमाने पर खरीदारी में धंधली की गई है। कुल 22 प्रकार की खरीदारी में अनियमित तरीके से भुगतान किया गया है। इन सभी मामलों की जांच कराकर कार्रवाई कराई जाए।
छह एसी लगी थी, फिर भी आठ एसी खरीदने का आरोप
शिकायतकर्ता धर्मेंद्र कुमार ने सीएम कार्यालय को भेजे गए हलफनामा में बताया है कि बीएसए कार्यालय में छह एसी लगी थी। इसके बावजूद आठ एसी खरीद ली गर्र्ई। यह तब हुआ, जब पुरानी छह एसी चल रही थी। इसका भुगतान बिना डीएम की अनुमति के किया गया। भुगतान में चालाकी दिखाते हुए उसको टुकड़े में किया गया, ताकि टेंडर का सवाल न आए।
यूपीएस की खरीदारी में भी धांधली का आरोप
शिकायतकर्ता धर्मेंद्र कुमार का आरोप है कि वर्ष 2023-24 में यूपीएस की खरीदारी गई थी। इसमें भी धांधली की गई है। जेम पोर्टल पर इसका टेंडर निकाला गया, लेकिन खरीदारी बाजार भाव से अधिक की गई। इस मामले में भी भुगतान के लिए डीएम से अनुमति नहीं ली गई है।